गर्भावस्था में महिलाओं के व्यवहार में कई तरह के बदलाव और समस्याएं आती हैं। प्रेग्नेंसी में बार-बार गुस्सा आना भी एक बड़ी परेशानी है। जानिए कि प्रेग्नेंसी में गुस्सा क्यों आता है और इसे कैसे दूर किया जा सकता है।
हर महिला के लिए प्रेग्नेंसी का समय बहुत खास होता है। इस दौरान शरीर में कई बदलाव आते हैं जिनकी वजह से तनाव, गुस्सा, चिड़चिड़ापन और चिंता महसूस हो सकती है। गर्भावस्था में कई बार गुस्सा और चिड़चिड़ापन महसूस होना नॉर्मल बात है लेकिन मां जो भी महसूस करती है, बच्चे पर भी उसका सीधा असर पड़ता है।
प्रेग्नेंसी में ज्यादा गुस्सा करना शिशु की सेहत के लिए सही नहीं है और समय रहते ही इसे कंट्रोल करना बहुत जरूरी है। अगर आप भी प्रेगनेंट हैं और आपको बार-बार गुस्सा आ रहा है तो यहां जान लीजिए इसके कारण और गुस्से को कम करने के उपायों के बारे में।
गर्भावस्था में गुस्सा आने के कारण
प्रेग्नेंसी में हार्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव आता रहता है। प्रेग्नेंसी में हार्मोनल बदलाव के कारण मूड स्विंग्स ट्रिगर हो सकते हैं जिसमें गुस्सा आना भी शामिल है। इसके अलावा नींद की कमी, पर्याप्त आराम न कर पाने या काम के बोझ की वजह से प्रेग्नेंसी में तनाव के कारण गुस्सा आ सकता है।
पार्टनर के करीब जाने का तरीका
अगर डॉक्टर आपको प्रेग्नेंसी में सेक्स के लिए मना नहीं करते हैं तो आप अपने पार्टनर के साथ संबंध बना सकती हैं। गर्भावस्था के दौरान पति-पत्नी के बीच थोड़ी दूरियां आ ही जाती हैं लेकिन कभी-कभी इंटिमेट होकर आप इस दूरी को मिटा सकते हैं।यह भी पढ़ें : बच्चे की प्लानिंग और प्रेग्नेंसी से पहले डॉक्टर से जरूर पूछें ये 5 सवाल
अब ज्यादा मजा आता है
गर्भावस्था में हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है जिसकी वजह से महिलाओं की सेक्स ड्राइव भी बढ़ जाती है। इस दौरान महिलाएं सेक्स को ज्यादा एंजॉय कर पाती हैं और ऑर्गेज्म भी बढिया रहता है। हालांकि, ऐसा जरूरी नहीं है कि हर प्रेगनेंट महिला को ऐसा महसूस हो।यह भी पढ़ें : प्रेग्नेंसी के बाद पेट की लटकी स्किन को ऐसे करें टाइट
डिलीवरी में आसानी
ऑर्गेज्म लेने से पेल्विक हिस्से में संकुचन बढ़ जाता है जिससे पेल्विक हिस्से की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद मिलती है। ये प्रसव और डिलीवरी के बाद आपको बहुत फायदा पहुंचाएगा। प्रेग्नेंसी में सेक्स करने का ये एक बहुत बड़ा फायदा है।यह भी पढ़ें : डिलिवरी के बाद पहली बार सेक्स में हो सकती हैं ये परेशानियां
पेशाब निकलना
गर्भावस्था में बार-बार पेशाब आने की दिक्कत होती है। यहां तक कि छींकने या हंसने पर भी प्रेग्नेंसी में पेशाब निकल सकता है। वहीं जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, वैसे-वैसे मूत्राशय पर दबाव पड़ता रहता है। जिन मांसपेशियों को आप प्रसव के लिए मजबूत कर रही हैं, वो पेशाब को रोकने और पेशाब निकलने की समस्या में भी मदद कर सकती हैं।यह भी पढ़ें : प्रेग्नेंसी में अनार खाने के फायदे और नुकसान
तनाव में कमी
गर्भावस्था में आने वाली परेशानियों और जटिलताओं में शरीर में आने वाले बदलावों के कारण महिलाओं को तनाव हो ही जाता है। सेक्स करने पर ऑक्सीटोसिन नामक लव हार्मोन रिलीज होता है जो कि काफी हद तक तनाव को कम करने और बेहतर नींद लाने में मदद करता है। गर्भावस्था में नींद न आने या बार-बार नींद टूटने की भी शिकायत रहती है। इससे भी प्रेग्नेंसी सेक्स से राहत पाई जा सकती है।यह भी पढ़ें: क्या पीरियड में सेक्स करने से प्रेग्नेंट हो सकते हैंहर महिला की प्रेग्नेंसी अलग होती है इसलिए ऐसा जरूरी नहीं है कि प्रेग्नेंसी में जो फायदे यहां बताए गए हैं, वो आपको भी जरूर मिलें, लेकिन ऐसा नहीं है कि गर्भावस्था में सेक्स करना सही नहीं है। बेहतर होगा कि आप अपनी प्रेग्नेंसी रिपोर्ट और स्टेज के हिसाब से एक बार डॉक्टर से इस बारे में पूछ लें।
इसके अलावा डिलीवरी या शिशु की सेहत को लेकर हो रहे डर की वजह से भी गुस्सा आ सकता है। प्रेग्नेंसी में आने वाले बदलावों और पीड़ा के कारण थोड़ी मात्रा में असहज महसूस होना सामान्य बात है। गर्भावस्था में होने वाली जी मतली और थकान आदि के कारण भी गुस्सा आ सकता है।
क्या गुस्से का गर्भस्थ शिशु पर असर पड़ सकता है
प्रेग्नेंसी में ज्यादा गुस्सा करने की वजह से हाई बीपी, हार्ट रेट बढ़ने, एनिनेफ्रिन और एड्रेनलाइन जैसे हार्मोनों के बढ़ने की वजह से रक्त वाहिकाएं संकुचित हो सकती हैं। इससे भ्रूण तक ऑक्सीजन और खून की आपूर्ति घट जाती है जो कि शिशु के विकास के लिए हानिकारक साबित हो सकती है।
प्रेग्नेंसी में लंबे समय तक गुस्सा आना या बहुत ज्यादा गुस्सा आना कुछ हद तक जटिलताएं पैदा कर सकती है। इसकी वजह से डिलीवरी के बाद तक परेशानी हो सकती है। ऐसा माना जाता है कि प्रेग्नेंसी में बार-बार गुस्सा करने की वजह से शिशु का जन्म के समय वजन कम होने, प्रीमैच्योर डिलीवरी, शिशु में चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन का खतरा हो सकता है।
कैसे महसूस होती है थकान
कैसे महसूस होती है थकान
प्रेगनेंट महिला को जल्दी थकान हो सकती है, इनमें दिनभर में एनर्जी की कमी रहती है या काम पर ध्यान लगाने में भी दिक्कत होती है। हालांकि, समय के साथ यह ठीक हो जाता है।यह भी पढ़ें : मां के गर्भ में कैसे सांस लेता है शिशुहर प्रेग्नेंसी अलग होती है और कुछ महिलाओं को बहुत आसानी से थकान हो सकती है जबकि हो सकता है कि कुछ महिलाओं को हमेशा थकान महसूस न हो। हर महिला में थकान का कारण अलग होता है।
गर्भावस्था में थकान के कारण
प्रेग्नेंसी की हर तिमाही में थकान का कारण अलग हो सकता है। जानिए कैसे :गर्भावस्था की पहली तिमाही में प्रोजेस्टेरोन नामक हार्मोन तेजी से बढ़ता है। ये प्रेग्नेंसी के शुरुआती दिनों में एनर्जी लेवल को कम कर देता है।शरीर में आयरन की कमी या लाल रक्त कोशिकाएं के कम होने के कारण भी प्रेग्नेंसी में थकान हो सकती है।गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में थकान चली जाती है लेकिन कुछ महिलाओं को तीसरी तिमाही तक थकान रह सकती है।दूसरी तिमाही में कुछ महिलाओं को बार-बार पेशाब आने की शिकायत रहती है। इस वजह से रात में बार-बार नींद टूटती है और सुबह उठने पर थकान रहती है।यह भी पढ़ें : प्रेग्नेंसी में कोल्ड ड्रिंक पीने का मन कर रहा है तो पहले इसके नुकसान जान लें
प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में थकान के कारण
गर्भावस्था के इन आखिरी तीन महीनों में वजन बढ़ जाता है और गर्भाशय का आकार भी फैलने लगता है। ऐसे में घर के मामूली काम करने में भी दिक्कत आती है और महिलाएं ज्यादा जल्दी थक जाती हैं।गर्भ में बढ़ रहे भ्रूण को ज्यादा खून और पोषण की जरूरत होती है। इस वजह से भी आखिरी महीनों में थकान बढ़ जाती है।इसके अलावा मेटाबोलिज्म बढ़ने, तनाव, दर्द, अनिद्रा, ब्लड प्रेशर या किसी अन्य स्थिति के कारण भी तीसरे सेमेस्टर में थकान हो सकती है।यह भी पढ़ें : प्रेग्नेंसी के दौरान वजन बढ़ना जरूरी है, लेकिन आखिर कितना वजन?
गर्भावस्था में थकान दूर करने के लिए क्या करें
जीवनशैली में कुछ बदलाव करने से थकान को दूर करने में मदद मिल सकती है, जैसे कि :हल्के व्यायाम जैसे कि पैदल चलना। योग और ध्यान से भी मदद मिल सकती है।थकान को दूर करने के लिए दिन में झपकी जरूर लें।शरीर में एनर्जी बनाए रखने के लिए संतुलित आहार लें और खूब पानी पिएं।गैर-जरूरी या तनावपूर्ण कार्य करने से बचें।आरामदायक पोजीशन में सोने की कोशिश करें। (यह भी पढ़ें : जानिए किस करवट आएगी आपको Pregnancy में बेहतर नींद)गैर-पौष्टिक चीजें और कैफीन का सेवन न करें। इसकी बजाय पौष्टिक आहार लें और धूम्रपान एवं शराब से दूर रहें।इस मामले में आपको अपने शरीर की बात सुननी चाहिए। अगर दोपहर में नींद आ रही है तो झपकी जरूर लें। स्नैक खाने का मन कर रहा है तो कुछ हेल्दी खा लें। प्रेग्नेंसी में थकान को दूर करने के लिए पर्याप्त आराम करना भी जरूरी है।यह भी पढ़ें : प्रेग्नेंसी में नहाने के लिए अपनाएं ये तरीका, बच्चा रहेगा स्वस्थगर्भावस्था में होने वाली थकान का असर गर्भस्थ शिशु पर नहीं पड़ता है। प्रेग्नेंसी में शरीर में आए बदलावों की वजह से ही थकान होती है और इसे लेकर ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है।
गर्भावस्था में गुस्सा कम करने के उपाय
गर्भावस्था में पौष्टिक और संतुलित आहार लेना चाहिए। प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, हरी पत्तेदार सब्जियां और फल खाएं। इससे थकान से लड़ने में मदद मिलेगी और मूड अच्छा रहेगा।
गर्भावस्था में हल्के व्यायाम और नियमित पैदल चलना जरूरी है। मूड स्विंग्स और गुस्से को कंट्रोल करने के लिए एक्टिव और फिट रहें।
प्रेगनेंट महिला को गुस्से और स्ट्रेस से लड़ने के लिए ध्यान करना चाहिए। गहरी सांस लेने वाली एक्सरसाइज जैसे कि प्राणायम और अनुलोम-विलोम आदि करें।
शारीरिक और मानसिक रूप से रिलैक्स करने के लिए शरीर की हल्की मालिश करें। बेहतर होगा कि आप प्रेग्नेंसी में किसी भी तरह की बहस और झगड़े से दूर रहें।
गर्भावस्था के दौरान रात में पर्याप्त नींद लेना बहुत जरूरी है। नींद की कमी के कारण चिड़चिड़ापन और गुस्सा हो सकता है। दिन में बीच-बीच में सोते रहें और दिनभर पर्याप्त आराम करें।