तालिबान के सर्वोच्च नेता मुल्ला हैबतुल्लाह अखुंदजादा ने कंधार में चीनी प्रतिनिधिमंडल से मिलने से इनकार कर दिया है। यह प्रतिनिधिमंडल अखुंदजादा से अफगानिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान की मौजूदगी पर चर्चा करना चाहता था। इस प्रतिनिधिमंडल ने काबुल पहुंचने से पहले पाकिस्तान का भी दौरा किया था। इस दौरे का उद्देश्य पाकिस्तान-तालिबान में समझौता कराना है।
अफगान तालिबान और पाकिस्तान में मध्यस्थता की कोशिश कर रहे चीन को बड़ा झटका लगा है। तालिबान के सर्वोच्च नेता हैबतुल्लाह अखुंदजादा ने सुलह की कोशिशों में जुटे चीनी प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात से इनकार कर दिया है। चीनी प्रतिनिधिमंडल पिछले हफ्ते के अंत में काबुल पहुंचा था और तालिबान सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वार्ता कर रहा था। इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व के विशेष दूत यू शियाओयोंग कर रहे हैं। उन्होंने कंधार में अखुंदजादा से मिलने के लिए वक्त मांगा था।
अखुंदजादा से क्यों मिलना चाहते थे चीनी नेता – चीनी प्रतिनिधिमंडल अखुंदजादा से मुलाकात कर अफगानिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) की गतिविधियों पर चर्चा करना चाहता था। यह प्रतिनिधिमंडल काबुल दौरे से पहले पाकिस्तान भी गया था। जहां, पाकिस्तान सरकार ने अफगानिस्तान में टीटीपी की कथित मौजूदगी से जुड़े सबूत साझा किए थे। पाकिस्तान ने कहा था कि टीटीपी के मुद्दे को हल किए बिना अफगान तालिबान के साथ संबंधों को कायम नहीं किया जा सकता है।
तालिबान नेताओं से मिला चीनी दल – चीनी प्रतिनिधिमंडल ने अफगानिस्तान के राजनीतिक मामलों के उप प्रधानमंत्री मौलवी अब्दुल कबीर, रक्षा मंत्री मुल्ला याकूब और अन्य लोगों के साथ बातचीत की। इस दौरान चीन-अफगानिस्तान संबंधों को मजबूत करने के अलावा अफगानिस्तान की धरती से संचालित आतंकी शिविरों का मुद्दा उठाया गया। हालांकि, तालिबान ने दो टूक लहजे में कहा है कि उनकी जमीन से कोई भी आतंकी समूह काम नहीं कर रहा है।
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