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वायु प्रदूषण के कारण बच्‍चे का दम ना घुट जाए, नई मां अपनाएं डॉक्टर का बताया उपाय


लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से नवजात शिशु के फेफड़ों को गंभीर नुकसान हो सकता है। स्‍टडीज और एक्‍सपर्ट की सलाह है कि शिशु के फेफड़ों को स्‍वस्‍थ रखने के लिए नवजात को स्‍तनपान कराना जरूरी है। मां का दूध उसके फेफड़ों और श्‍वसन तंत्र को स्‍वस्‍थ रखने में मदद करता है।
दिल्‍ली में बढ़ता प्रदूषण लोगाें का स्‍वास्‍थ्‍य खराब कर रहा है। अगर कोई इससे सबसे ज्‍यादा प्रभावित हो रहा है, तो वो है नवजात शिशु। प्रदूषण के चलते इनके फेफड़ों पर बहुत ज्‍यादा असर पड़ता है। दरअसल, प्रदूषित हवा में ज्‍यादा मात्रा में कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्‍फर डाइऑक्‍साइड जैसी गैस होती हैं, जो नवजात के फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती हैं। इस वजह से वह सांस नहीं ले पाता और उसका दम घुटने लगता है।
डॉक्‍टर्स का मानना है कि वायु प्रदूषण से बचाने के लिए शिशु के फेफड़े स्‍वस्‍थ होना चाहिए। इसके लिए मां को नियमित रूप से शिशु को स्‍तनपान कराना होगा। आइए जानते हैं क्‍या है स्‍तनपान और वायु प्रदूषण के बीच कनेक्‍शन।
मां के दूध से फेफड़े रहते हैं स्‍वस्‍थ – नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्‍टडी के मुताबिक स्‍तनपान से बच्‍चों के फेफड़े मजबूत होते हैं। शिशु को लगातार 4 महीने तक स्‍तनपान कराने से उसके फेफडों पर अच्‍छा प्रभाव पड़ता है। बता दें कि स्‍वस्‍थ फेफड़े शिशु को संक्रमण और बीमारियों से लड़ने की क्षमता देते हैं, जो प्रदूषण के कारण हो सकती हैं।
चार महीने तक कराएं स्‍तनपान – कुछ स्‍टडीज के अनुसार, जन्‍म के बाद कम से चार महीने स्तनपान कराने से हेल्‍दी गट माइक्रोबायोम का निर्माण होता है , जिससे बच्‍चे की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत रहती है। ऐसे में शिशुओं को हानिकारक प्रदूषक पदार्थ आर नाइट्रोजन डाइऑक्साइड से ज्‍यादा नुकसान नहीं हो पाता। अगर बच्‍चे ने हाल ही में जन्‍म लिया है, तो उसे कम से कम 4 महीने तक नियमित रूप से स्तनपान जरूर कराएं।
बीमारियों का खतरा होगा कम – गायनाकोलॉजिस्‍ट एंड आईवीएफ कंसल्‍टेंट डॉ. मालती भोजवानी के मुताबिक मां के दूध में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने वाली एंटीबॉडी होती है, जिस कारण बच्‍चे की इम्यूनिटी बढ़ जाती है। इससे वायु प्रदूषण के कारण बच्‍चों में होने वाली एलर्जी , ब्रोकांइटिस और अस्‍थमा जैसी समस्याओं का खतरा भी बहुत कम हो जाता है।
कहीं मां को अस्‍थमा तो नहीं – स्‍तनपान भले ही बच्‍चों को सांस से जुड़ी बीमारी बचाता है, लेकिन अगर मां को अस्‍थमा है, तो बच्‍चे को स्तनपान कराने से कोई फायदा नहीं होगा। बल्कि इन बच्‍चों के फेफड़ों के काम करने की क्षमता कम हो जाएगी। इसका मतलब यह नहीं है कि अस्‍थमा से पीड़ित माओं को स्‍तनपान कराना बंद कर देना चा‍हिए। एक्सपर्ट्स के अनुसार, शिशु के लिए मां का दूध संपूर्ण आहार है। यह एंटीबॉडी की आपूर्ति करता है , जिससे बच्‍चे बैक्‍टीरियल आर वायरल संक्रमण से बचे रहते हैं।
शिशु को प्रदूषण से बचाने के अन्‍य तरीके
नवजात शिशु के कमरे में पौधे लगाएं।
शिशु को ट्रैफिक वाले इलाकों में ना लेकर जाएं।
घर के अंदर एयर प्‍यूरीफायर लगाएं।
घर की खिड़कियां बदं रखें, ताकि दूषित हवा अंदर न आए।