राष्ट्रीय कयाकिंग एवं केनोईंग चैंपियनशिप-2017
विवेक शर्मा, इंदौर से
इंदौर, 12 जनवरी 2017: 15 से 24 वर्ष के भारतीय केनो/कयाक एथलीट और उसी उम्र के यूरोपीय एथलीटों की शारीरिक क्षमता में कोई अंतर नहीं है। ये कहना है ब्राज़ील से आईं और साई के कोच के रुप में काम कर रही डॉक्टर एलेसेन्ड्रा मारिया पिन्टो कहती हैं। कयाकिंग की अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी रह चुकी पिन्टो के मुताबिक उन्होंने इस बारे में शोध किया और पाया कि हंगरी, जर्मनी, इटली और भारतीय खिलाड़ियों के शारीरिक मापदंड में कोई भी अंतर नहीं है और वैज्ञानिक रुप से भारतीय एथलीट, इन देशों के एथलीट से ज़रा भी पीछे नहीं हैं।
पिन्टो कहती हैं कि भारतीय खिलाड़ियों के पास क्षमता और सुविधाओं दोनों हैं साथ ही कयाकिंग संघ भी आधुनिक नाव और अन्य उपकरण मुहैया कराने में पीछे नहीं है। बस कमी है तो सिस्टम में थोड़े सुधार की। डॉक्टर पिन्टो के मुताबिक एशियन गेम्स के लिए अभी से कड़ी तैयारी करनी होगी और दो साल में प्रदर्शन में सुधार किया जा सकता है। भारत के तुलना में चीन ने इस खेल में सिर्फ डेढ़ साल पहले ही तैयारी शुरू की है और इस खेल में चीन के एथलीट तगड़ी टक्कर दे सकते हैं इसके लिए ज्यादा से ज्यादा विदेशी कोचों की सेवाएं ली जाएंगी तो भारतीय खिलाड़ियों को अपडेटेड हुनर और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने में फायदा हो सकता है। वहीं दूसरी ओर भारत के अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी और कैप्टन वाघाराम बिश्नोई बताते हैं कि उन्हें गुजरात के सभी ज़िलो में इस खेले के एथलीट्स को ट्रेनिंग देने की ज़िम्मेदारी मिली है लेकिन उनका लक्ष्य 2024 ओलिंपिक खेलों पर है जिसके लिए अभी से मेहनत की जाए तो भारतीय टीम पदकों की संख्या में इजाफा कर सकती है।
IndianZ Xpress NZ's first and only Hindi news website