भारत पेरिस ओलिंपिक में विनेश फोगाट सहित छह पहलवानों को भेजेगा। पुरुषों में एकमात्र पहलवान अमन सहरावत 57 किलो भारवर्ग में होंगे। महिलाओं में विनेश फोगाट (50 किलो), अंतिम पंघाल (53 किलो), अंशु मलिक (57 किलो), निशा दहिया (68 किलो), ऋतिका हूडा (76 किलो) से उम्मीदें हैं।
ओलिंपिक में हॉकी के बाद भारत ने कुश्ती में ही सबसे ज्यादा सात मेडल जीते हैं। यही कारण है कि पिछले दिनों भारतीय कुश्ती में मचे बवाल के बावजूद इस खेल से मेडल की उम्मीद घटी नहीं है। पिछले दिन भारतीय कुश्ती में हुई उठा-पटक की वजह से प्लेयर्स के लिए ट्रेनिंग कैंप नहीं लगे। ट्रायल का पता नहीं रहा। ट्रेनिंग का कोई सही शेड्यूल नहीं रहा। इसका असर क्वॉलिफिकेशन पर पड़ा और सिर्फ एक पुरुष पहलवान ही पेरिस के लिए क्वॉलिफाई कर सका। सब सामान्य रहता तो कई और पहलवान अभी पेरिस में होते क्योंकि भारत के लिए अब कुश्ती में ओलिंपिक क्वॉलिफिकेशन बड़ा मसला नहीं रह गया है, यहां अब पदकों के संख्या पर बात होती है। पूर्व रेसलर ओलिंपियन और नेशनल कोच रहे ज्ञान सिंह ने नवभारत टाइम्स से ओलिंपिक में कुश्ती की उम्मीदों पर खास बातचीत की।
विनेश और अंतिम मेडल की दावेदार – ज्ञान सिंह ने कहा, ‘इस बार हमारे कुल छह पहलवान ओलिंपिक में हैं और मुझे कम से कम तीन पदक आते दिख रहे हैं। पेरिस जा रहे एकमात्र भारतीय पुरुष पहलवान अमन सहरावत से पदक की उम्मीद है, क्योंकि पिछले कुछ समय में उन्होंने जिस भी प्रतियोगिता में भाग लिया है वहां खुद को साबित किया है। मैं महिला पहलवान विनेश फोगाट को भी पदक का प्रबल दावेदार मान रहा हूं। उनके पास काफी अनुभव है। उनकी खास बात यह है कि वह घबराती नहीं हैं। लड़ना जानती हैं। सिर्फ किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया है। इसके अलावा पिछले दिनों जो कुछ हुआ है उसके बाद से विनेश ओलिंपिक पदक जीतकर अपने आलोचकों को जवाब देना चाह रही होंगी। हालांकि, विमिंस कैटिगरी में मेडल की भविष्यवाणी करना आसान नहीं, लेकिन फिर भी मैं युवा रेसलर अंतिम पंघाल से भी पदक की उम्मीद करता हूं।
भौगोलिक परिस्थितियां भी अहम – ज्यादा वेट कैटिगरी में मैं मेडल की उम्मीद नहीं कर रहा क्योंकि इनमें हमारा प्रदर्शन शुरुआत से खास नहीं रहा है। इसकी एक बड़ी वजह भौगोलिक परिस्थितियां हैं। हेवीवेट कैटिगरी में पश्चिम के पहलवान ज्यादा मजबूत हैं। मसल पावर में वह हमसे बेहतर हैं। हमारे पहलवानों के पास स्पीड और स्टैमिना अधिक है। हम लोअर वेट कैटिगरी में ज्यादा सफल रहते हैं। पैरिस ओलिंपिक्स में भी लोअर और मिडल वेट कैटिगरी से ही मुझे पदक की उम्मीद है।
सपोर्ट स्टाफ की भूमिका अहमपदक सिर्फ ऐथलीट के खेल पर ही नहीं निर्भर करता। उसके साथ गए सपोर्ट स्टाफ की भूमिका भी अहम होती है। अमन पदक का दावेदार हैं, लेकिन यह उनका पहला ओलिंपिक है और ऐसे में प्रेशर होना लाजिमी है। हालांकि यह भी सही है कि मैट पर उतरते ही प्रेशर जैसी कोई चीज नहीं होती और वहां आपका दांव-पेच काम आता है। मैच के पहले और दौरान भी ऐथलीट का मनोबल ऊंचा करना होता है। इस बार कैंप नहीं लगने की वजह से कोच, सपोर्ट स्टाफ और रेसलर के बीच ज्यादा बॉन्डिग नजर नहीं आ रही है। देखना है कि भारतीय कुश्ती दल इससे कैसे उबरता है।