
प्राचीन काल से ही यह परंपरा चली आ रही है कि घर में तुलसी का पौधा होना चाहिए और आज के समय में हर किसी के घर में यह पौधा देखने को मिलता है। शास्त्रों में तुलसी को पूजनीय, पवित्र और देवी स्वरूप माना गया है। हिंदू परंपरा में इसका उपयोग करने के लिए कुछ नियम और निश्चित समय यानि मुहूर्त होता है। कई जगहों पर आज भी इसी परंपरा का पालन किया जाता है।
आमतौर पर घरों में दो तरह की तुलसी देखने को मिलती है। एक जिसकी पत्तियों का रंग थोड़ा गहरा होता जिसे श्यामा कहते हैं और दूसरी जिसकी पत्तियों का रंग हल्का होता है जिसे रामा बोलते हैं। दोनों ही तुलसी का बहुत महत्व है लेकिन एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि तुलसी के पत्तों को कभी भी चबा कर नहीं खाना चाहिए। हमेशा उसे निगलना चाहिए। तो आइए आज आपको तुलसी नामाष्टक मंत्र के बारे में बताएंगे। जिसके जाप से आपके घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहेगी।
वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।
यः पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।
अर्थात् हे वृंदा! आप वृंदावनी, विश्वपूजिता, विश्वपावनी, पुष्पसारा, नंदनीय, तुलसी, कृष्ण जीवनी हो। आपको नमस्कार है। श्री तुलसी के पूजन के समय जो इन 8 नामों का पाठ करता है। वह अश्वमेघ यज्ञ के फल को प्राप्त करता है।
IndianZ Xpress NZ's first and only Hindi news website