नीदरलैंड में एक 29 वर्षीय डच महिला ज़ोरया टेर बीक बचपन से ही दीर्घकालिक अवसाद, चिंता और आघात जैसे रोगों से इतनी ज्यादा पीड़ित है कि नीदरलैंड की सरकार ने उनकी इच्छा मृत्यु को मंजूरी दे दी है।
इंटरनेशनल डेस्क: नीदरलैंड में एक 29 वर्षीय डच महिला ज़ोरया टेर बीक बचपन से ही दीर्घकालिक अवसाद, चिंता और आघात जैसे रोगों से इतनी ज्यादा पीड़ित है कि नीदरलैंड की सरकार ने उनकी इच्छा मृत्यु को मंजूरी दे दी है। सभी तरीके के इलाज से परेशान होकर ज़ोरया टेर बीक प्राण त्यागने की इच्छा प्रकट की थी।
नीदरलैंड में 20 साल पुराना है कानून – 2002 में नीदरलैंड में अधिनियमित एक कानून के तहत साढ़े तीन साल की प्रक्रिया से गुजरने के बाद ज़ोरया टेर बीक को हाल ही में सहायता प्राप्त मृत्यु के लिए अंतिम मंजूरी मिल गई। बीते अप्रैल माह में मीडिया में मामला सामने आने के बाद इस पर विवाद हो गया था। इससे ज़ोराया काफी तनाव में आ गई थी। ज़ोराया ने कहा कि वह समझती हैं कि सहायता प्राप्त मृत्यु के मामले विवादास्पद हो सकते हैं। उन्होंने मीडिया रिपोर्ट्स से जानकारी साझा करते हुए यहां तक कहा था कि लोग सोचते हैं कि जब आप मानसिक रूप से बीमार होते हैं, तो आप सीधे नहीं सोच सकते, जो अपमानजनक है। मैं समझती हूं कि कुछ विकलांग लोगों के मन में सहायता प्राप्त मृत्यु को लेकर डर है, और लोगों पर मरने के लिए दबाव होने की चिंता है। लेकिन नीदरलैंड में, हमारे पास यह कानून 20 से अधिक वर्षों से है। वहां वास्तव में सख्त नियम हैं, और यह वास्तव में सुरक्षित है।
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