
देहरादून: उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ रहा है। पिछले दस सालों में यहाँ बाढ़ और भूस्खलन से 705 लोगों की जान जा चुकी है। आपदा प्रबंधन के आंकड़ों के अनुसार, इनमें से 389 लोग सिर्फ बाढ़ में मारे गए। हमारे सहयोगी अखबार ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ को मिली जानकारी के अनुसार, इसी दौरान 316 लोगों की मौत भूस्खलन से हुई। ये दोनों आपदाएं, जो आमतौर पर भारी बारिश, ग्लेशियरों के पिघलने या बादल फटने से होती हैं, इस क्षेत्र में तेजी से बदलते मौसम का सबसे खतरनाक नतीजा हैं। पिछले 10 सालों में उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाओं से लगभग 3500 लोगों की जान गई है।
यह डरावना आंकड़ा हाल ही में हुए वैज्ञानिक अध्ययनों से मेल खाता है। इन अध्ययनों में उत्तराखंड को अत्यधिक मौसम की घटनाओं का केंद्र बताया गया है। 2010 से यहाँ ऐसी घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। ‘जर्नल ऑफ द जियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया’ में छपे एक अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि पिछले 15 सालों में राज्य में बादल फटने, बाढ़ और सतह पर पानी के बहाव की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं।
Home / Uncategorized / 10 साल में 3500 जिंदगियां खत्म! उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा की घटनाओं में तेजी पैदा कर रही डर
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