Wednesday , November 19 2025 9:50 AM
Home / Uncategorized / अमेरिका ने पहले भी की थी कोशिश…27 साल पुरानी घटना न भूलें ट्रंप…जब भारत के हौसले के सामने टेकने पड़ गए घुटने

अमेरिका ने पहले भी की थी कोशिश…27 साल पुरानी घटना न भूलें ट्रंप…जब भारत के हौसले के सामने टेकने पड़ गए घुटने

अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगाकर जो संकट खड़ा किया है, वैसा पहली बार नहीं है। अमेरिका ने कम से कम चार पर यह हरकत की है, जिसमें 1998 का आर्थिक प्रतिबंध सबसे अहम है। लेकिन, भारत अपनी शर्तों पर आगे बढ़ा और 2037 में सीधे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को टक्कर देने को तैयार है।
अमेरिका ने टैरिफ के माध्यम से भारत पर जिस तरह से दबाव बनाने की कोशिश की है, वह उसके लिए कोई नई बात नहीं है। अपनी नहीं चलने पर वह भारत के साथ पहले भी ऐसा कर चुका है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शायद टैरिफ का टेरर पैदा करने से पहले 1998 की घटना पर रिसर्च नहीं किया है। तब भी परमाणु परीक्षणों के बाद अमेरिका ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंधों के गोले दागे थे। लेकिन, इसके बाद के वर्षों में भारत ने जिस तेजी से एक वैश्विक आर्थिक शक्ति के तौर पर उभरना शुरू किया, वह एक मिसाल है। हालत ये हो गई कि कुछ ही समय बाद ही अमेरिका को भी भारत से दोस्ती बढ़ाने में ही फायदा नजर आने लगा।
27 साल पहले अमेरिका ने लगाए आर्थिक प्रतिबंध – 11 और 13 मई 1998 को जब तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने परमाणु परीक्षण किए तो देश में कुछ इसी तरह का माहौल पैदा हुआ था, जो बुधवार से 50% अमेरिकी टैरिफ की टेंशन की वजह से हुआ है। तब अमेरिका की बिल क्लिंटन सरकार ने भारत पर तमाम आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे। इससे भारत के सामने वैश्विक सहायता में कटौती का संकट पैदा हो गया, अंतरराष्ट्रीय ऋण में अड़चनें आनी शुरू हो गईं और टेक्नोलॉजी ट्रांसपर पर रोक लगने से कई क्षेत्रों में प्रगति बाधित होने लगी। लगने लगा कि भारतीय अर्थव्यस्था चकनाचूर हो जाएगी। लेकिन, शुरुआती संकट के बाद सारी आशंकाएं धूल चाटने को मजबूर हो गईं।
तथ्य यह है कि भारत ने तब भी किसी भी सूरत में अमेरिकी दबाव में नहीं झुकने का फैसला किया। एक तरफ वाजपेयी सरकार कूटनीतिक स्तर पर वैश्विक समुदाय से जुड़ने की कोशिश में लगी रही, दूसरी तरफ आर्थिक प्रतिबंधों से उबरने के लिए स्वदेशी चीजों के विकास और आत्मनिर्भरता पर जोर देना शुरू कर दिया। परिणाम यह हुआ कि आगे के वर्षों में न सिर्फ प्रतिबंध हटने शुरू हो गए, बल्कि दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्ते पहली बार बुलंद होने लगे। भारत अपने दम पर आर्थिक तौर पर भी शक्तिशाली बनना शुरू हो गया। अपने उसी कार्यकाल में क्लिंटन जब भारत दौरे पर आए तो लगा ही नहीं कि उन्हीं की सरकार ने परमाणु परीक्षणों के बाद इतनी बौखलाहट दिखाई थी।