
डिफेंस न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय वायुसेना का मानना है कि 90 अतिरिक्त राफेल F4 विमानों की सीधी खरीद से राफेल फाइटर जेट्स की संख्या 126 पर पहुंच जाएगा। भारत ने 2007 में MMRCA प्रोग्राम के तहत इतने ही फाइटर जेट्स की जरूरत बताई थी। भारत के पास इस महीने सिर्फ 29 स्क्वॉर्डर्न ही बचेंगे।
वायुसेना में कम होते स्क्वर्डन की संख्या को जल्द से जल्द भरने के लिए भारत ने कुछ कदम उठाए हैं। एक तो भारत ने 97 तेजस-1 फाइटर जेड के प्रोडक्शन को इजाजत दे दी है। दूसरी तरफ भारत ने फ्रांस से राफेल फाइटर जेट खरीदने का फैसला किया है। डिफेंस न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय वायुसेना ने फ्रांस से सीधे 90 राफेल F4 लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए सरकार-से-सरकार (G2G) डील की सिफारिश की है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक यह प्रस्ताव लंबे समय से लटके मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) टेंडर को दरकिनार करते हुए तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए है।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने राफेल से ही पाकिस्तान के अंदर गहराई से हमले किए थे। लेकिन भारत के पास सिर्फ 36 राफेल थे और भारतीय वायुसेना ने विमानों की कमी को महसूस किया था। भारतीय वायुसेना की स्क्वाड्रन संख्या बेहद कम है। उस ऑपरेशन ने यह कमजोर कड़ी उजागर कर दी कि भारतीय वायुसेना के पास एक साथ कई मोर्चों पर कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। फिलहाल वायुसेना केवल 31 स्क्वाड्रनों के साथ काम कर रही है, जबकि आधिकारिक स्वीकृति 42 स्क्वाड्रनों की है। सितंबर 2025 में आखिरी मिग-21 स्क्वाड्रनों के रिटायर्ड होने के बाद यह संख्या घटकर 29 तक पहुंच जाएगी, जिससे स्थिति और गंभीर हो जाएगी।
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