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अमेरिका दुनिया का चौधरी नहीं… SCO के मंच से दुनिया के 10 ताकतवर देशों का ट्रंप पर पलटवार, भारत की बड़ी डिप्लोमेटिक जीत


पहलगाम आतंकी हमले की निंदा और डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ का विरोध… भारत के लिए ये दोनों मुद्दे बेहद अहम थे और इन दोनों मुद्दे का एससीओ के ज्वाइंट स्टेटमेंट में आना भारत के लिए बड़ी डिप्लोमेटिक जीत की तरह है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसका मतलब है कि आतंकवाद को लेकर चीन ने कोई विरोध नहीं किया।
चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन यानि SCO शिखर सम्मेलन से पहली बात जो साफ कर दी गई है, वो ये कि अमेरिका की चौधराहट पर दुनिया बर्दाश्त नहीं करेगी। इसके साथ ही एससीओ शिखर सम्मेलन से सबसे बड़ा संदेश ये गया है कि अब चीन ने दुनिया का नया चौधरी बनने के लिए कदम बढ़ा दिया है और तीसरी बात ये कि भारत के लिए आगे का रास्ता क्या होने वाला है? इन संकेतों के अलावा भारत के लिए सबसे बड़ी बात ये रही है कि एससीओ शिखर सम्मेलन के ज्वाइंट स्टेटमेंट में पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की सख्त शब्दों में निंदा की गई है।
एससीओ सदस्य देशों के संयुक्त बयान में 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की निंदा करते हुए कहा गया है कि “ऐसे हमलों के दोषियों, आयोजकों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए। सदस्य देशों ने आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई के प्रति अपनी मजबूत जताई है और कहा है कि आतंकवादियों, अलगाववादियों और उग्रवादी समूहों को स्वार्थी उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करने की कोशिशों को खारिज किया जाए।” बयान में कहा गया, “आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में डबल स्टैंडर्ड अस्वीकार्य हैं।”
एससीओ के मंच से डोनाल्ड ट्रंप को सीधा संदेश – एससीओ के ज्वाइंट स्टेटमेंट में अमेरिकी टैरिफ की आलोचना की गई है। इसमें कहा गया है कि “सदस्य देश एकतरफा बलपूर्वक उपायों का विरोध करते हैं, जिनमें आर्थिक प्रकृति के उपाय भी शामिल हैं, जो संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतर्राष्ट्रीय कानून के अन्य मानदंडों, विश्व व्यापार संगठन के नियमों और सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं, खाद्य और ऊर्जा घटकों सहित अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों को नुकसान पहुंचाते हैं, वैश्विक अर्थव्यवस्था को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं, निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को कमजोर करते हैं, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और संयुक्त राष्ट्र के लगातार विकास के लक्ष्यों को हासिल करने में बाधा डालते हैं।” यानि एससीओ के मंच से अमेरिका को सख्त संदेश देने की कोशिश की गई है और ट्रंप के टैरिफ को वैश्विक डेपलपमेंट के लिए खतरनाक बताया गया है।
पहलगाम आतंकी हमले की निंदा और डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ का विरोध… भारत के लिए ये दोनों मुद्दे बेहद अहम थे और इन दोनों मुद्दे का एससीओ के ज्वाइंट स्टेटमेंट में आना भारत के लिए बड़ी डिप्लोमेटिक जीत की तरह है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसका मतलब है कि आतंकवाद को लेकर चीन ने कोई विरोध नहीं किया, जबकि पहले देखा जाता रहा है कि पाकिस्तानी आतंकवादियों को लेकर जब भी भारत कोई प्रस्ताव आगे बढ़ाता, चीन इसे रोक देता। यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल में भी ऐसा ही होता था। लेकिन एससीओ के मंच पर आतंकवाद, सीमा पार आतंकवाद, आतंकवादियों के प्रायोजक जैसे शब्दों का होना भारत के लिए बहुत बड़ी डिप्लोमेटिक जीत है।