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अलास्का में भारत और अमेरिकी सेना का युद्धाभ्यास, चीन के खिलाफ हिमालय में लड़ाई की है प्रैक्टिस? C-UAS ट्रेनिंग क्या है?


भारत और अमेरिकी सैनिकों के बीच ये युद्धाभ्यास हर साल बारी-बारी से भारत और अमेरिका में आयोजित किया जाता है। इस बार अलास्का चुना गया है, जो अमेरिकी सैन्य रणनीति के लिहाज से बेहद संवेदनशील इलाका है। अलास्का से अमेरिका सीधे आर्कटिक और इंडो-पैसिफिक कॉरिडोर पर नजर रख सकता है।
डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ युद्ध के बावजूद भारत और अमेरिका के सैनिक अलास्का में युद्धाभ्यास कर रहे हैं। इससे पता चलता है कि भारत और अमेरिका के स्ट्रैटजिक संबंध इतने भी कच्चे नहीं हैं कि ट्रंप की वजह से टूट जाएं। भारत और अमेरिकी सैनिकों के बीच 1 सितंबर से अलास्का में ‘युद्ध अभ्यास 2025’ शुरू हुआ है, जिसके तहत दोनों ही देशों की सेना हाई एल्टीट्यूट वातावरण में कठिन युद्धाभ्यास कर रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक ये युद्धाभ्यास हाई-एल्टीट्यूड वारफेयर, ड्रोन (UAS) और काउंटर-ड्रोन (C-UAS) ऑपरेशंस पर आधारित है। इसके अलावा इसका फोकस हेलीबोर्न ऑपरेशन, सर्विलांस सिस्टम के इस्तेमाल, पर्वतीय युद्ध और तोपखाने, विमानन और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सिस्टम के इंटीग्रेशन पर फोकस है। एक सितंबर को शुरू हुआ ये एक्सरसाइज 14 सितंबर तक चलेगा।
भारतीय रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, भारतीय दल में मद्रास रेजिमेंट की एक बटालियन के कर्मी शामिल हैं, जो 5वीं इन्फैंट्री रेजिमेंट के अमेरिकी सैनिकों के साथ ट्रेनिंग लेंगे, जिन्हें आर्कटिक वोल्व्स ब्रिगेड कॉम्बैट टीम के “बॉबकैट्स” के रूप में भी जाना जाता है, जो अमेरिकी 11वीं एयरबोर्न डिवीजन का हिस्सा है। इसके अलावा, दोनों सेनाओं के एक्सपर्ट्स यूएएस और काउंटर-यूएएस ऑपरेशन, कम्युनिकेशन वॉरफेयर, संचार और रसद जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर एक्सरसाइज करेंगे। अमेरिकी सेना के बयान में कहा गया है, कि यह क्षेत्रीय साझेदारी को मजबूत करने और एक स्वतंत्र एवं खुला हिंद-प्रशांत क्षेत्र बनाए रखने की यूएस इंडो-पैसिफिक कमांड की रणनीति का भी समर्थन करता है।