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एयरशिप, यूसीएवी, हाई एनर्जी लेजर, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेपन सिस्टम..एयरफोर्स के ये फ्यूचर वेपन उड़ाएंगे चीन-पाकिस्तान की नींद


वायुसेना के लिए भारत सरकार बड़े पैमाने पर हथियार और तकनीकी उपकरण खरीदने की तैयारी में है। आज युद्ध का मतलब है वायुसेना की लड़ाई। ऐसे में भारतीय वायुसेना भविष्य के लिए अभी से तैयार रहे, इसको लेकर अगले डेढ़ दशकों की एक विस्तृत रणनीति बनाई गई है।
ऑपरेशन सिंदूर में हम देख चुके हैं कि नए जमाने के युद्ध में एयर फोर्स का रोल कितना अहम हो गया है। अगर ऐसा नहीं होता तो हमारी सशस्त्र सेना बिना सीमा पार किए पाकिस्तान के 100 किलोमीटर अंदर टारगेट को तबाह नहीं कर पाती। आज की तारीख में हम इससे भी कहीं अंदर बिना दुश्मन के इलाके में घुसे उसके ठिकानों को बर्बाद करने में सक्षम हैं। लेकिन, मॉडर्न वॉरफेयर का तरीका हर दिन बदल रहा है और इसकी तकनीक विकसित हो रही है। यही वजह है कि भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने आने वाले 15 साल में वायु सेना (IAF) की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक बहुत बड़ी योजना तैयार की है। इसके तहत अरबों रुपये के हथियार और आधुनिक तकनीकी उपकरण खरीदे जाने हैं।
20 स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप की जरूरत – ET की एक रिपोर्ट के मुताबिक आधुनिक जमाने के युद्ध के लिए भारतीय वायुसेना को नए तरह के हथियारों और तकनीकी उपकरणों की जरूरत है। इसके लिए कम से कम 20 स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप की जरूरत पड़ेगी, जो दूर आकाश में रहकर एक ऐसा प्लेटफॉर्म देने में सक्षम है, जो रियल टाइम कम्युनिकेशन और खुफिया जानकारी जुटाकर देगा और एयर फोर्स की मारक क्षमता में चार चांद लगा देगा। इसी तरह से 5 मल्टीबैंड रेडियो फ्रिक्वेंसी सेंसर सैटेलाइट, 350 से ज्यादा एंड्योरेंस ड्रोन की भी जरूरत है, जो 30,000 फीट या ज्यादा की ऊंचाई पर 24 घंटे टिका रह सकता है।