
ईरान का चाबहार बंदरगाह अफगानिस्तान और मध्य एशिया के लिए बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है। लेकिन, अमेरिकी पाबंदियों ने इनक उम्मीदों को जोर का झटका दिया है। ऐसे मेंअफगानिस्तान और उज्बेकिस्तान जैसे देशों की नजरें भारत पर टिकी हैं, जो व्यापार के वैकल्पिक मार्ग तलाश रहे हैं। हालांकि, फिलहाल भारत के लिए भी विकल्प सीमित नजर आ रहे हैं।
ईरान का चाबहार बंदरगाह अफगानिस्तान और मध्य एशिया के चारों तरफ से जमीन से घिरे अन्य देशों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है। इलाके में जियोपॉलिटिक्स में हो रहे तेज बदलाव ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार से लेकर उज्बेकिस्तान जैसे देशों की भी इस प्रोजेक्ट को लेकर उम्मीदें सिर्फ भारत भरोसे टिकी रह गई हैं। ये दोनों देश अब इस सुविधा का इस्तेमाल करने के लिए भारत की ओर बहुत ही टकटकी निगाहों से देख रहे हैं। भारत के लिए भी मौजूदा हालात में इस परियोजना को लेकर संभावनाओं का द्वार नए सिरे से खोलना चुनौतीपूर्ण हो चुका है।
चाबहार में अमेरिकी नीति तोड़ रही उम्मीदें – ET की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका ने चाबहार बंदरगाह पर पाबंदियों जिस तरह से रियायत वापस ले ली है, उसने उन देशों की चिंताएं काफी बढ़ा दी हैं, जिनके लिए समंदर के रास्ते तक पहुंचना बहुत मुश्किल है। हालांकि,उज्बेकिस्तान जैसे देश को पुख्ता भरोसा है कि भारत इस बंदरगाह को मध्य एशिया के लिए पूरे महाद्वीप से व्यापार का एक प्रमुख माध्यम बनाए रखेगा। वैसे भारत भी इस बंदरगाह में अपने हितों की रक्षा के रास्ते तलाशने में लगातार जुटा हुआ है।
उधर भारत दौरे पर आए अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी ने भी यह उम्मीद जताई है कि ईरान का चाबहार बंदरगाह भारत-अफगानिस्तान में व्यापार को बढ़ाने में गेमचेंजर साबित होकर रहेगा। उन्होंने भारत से गुजारिश की है कि वह अमेरिका से चाबहार पोर्ट पर वापस से लगाए गए प्रतिबंधों में फिर से राहत देने को कहे। उधर, उज्बेकिस्तान किसी भी एक रास्ते के भरोसे ही नहीं रहना चाहता। वह चाहता है कि चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के अलावा भी व्यापार के वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध रहें। ऐसे में उसे पूरा यकीन है कि भारत चाबहार बंदरगाह से जुड़ी उसकी चिंताओं को हर हाल में दूर कर पाने में सफल रहेगा।
Home / Uncategorized / चाबहार बंदरगाह…अफगानिस्तान की तरह उज्बेकिस्तान की भी टंगी उम्मीदें…भारत को दिया बहुत बड़ा ऑफर
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