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जजों के जाली साइन से करोड़ों… ये तो जूडिशरी में जनता के विश्वास की नींव पर हमला, सुप्रीम कोर्ट ने गृह मंत्रालय, CBI से मांगा ऐक्शन प्लान


सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में बढ़ते साइबर अपराधों, खासकर बुजुर्गों के साथ डिजिटल अरेस्ट पर चिंता जताई है। शीर्ष अदालत ने देशभर में हो रहे साइबर अपराध को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय, सीबीआई से पूछा है कि आखिर इस पर कैसे लगाम लगेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गृह मंत्रालय और सीबीआई से जानना चाहा कि लोगों, खासकर वरिष्ठ नागरिकों को डिजिटल गिरफ्तारी की धमकी देकर उनसे पैसे ऐंठने वाले साइबर अपराध गिरोहों का पर्दाफाश करने के लिए पूरे देश में क्या कार्रवाई की आवश्यकता है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि हमारा प्रथम दृष्टया मानना है कि न्यायिक दस्तावेजों की जालसाजी, साइबर जबरन वसूली और निर्दोष लोगों, खासकर वरिष्ठ नागरिकों की साइबर गिरफ्तारी से जुड़े इस आपराधिक गिरोह का पूरी तरह से पर्दाफाश करने के लिए केंद्रीय (एजेंसियों) और राज्य पुलिस के बीच समन्वित प्रयासों के साथ पूरे देश में कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है।
रिट याचिका पर आया ‘सुप्रीम’ आदेश – यह आदेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान लेते हुए दायर एक रिट याचिका पर आया है। अंबाला के एक सत्तर वर्षीय दंपती ने आरोप लगाया था कि धोखेबाजों ने वाट्सएप और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुप्रीम कोर्ट के जाली आदेश दिखाकर उन्हें एक करोड़ रुपये से अधिक की रकम देने के लिए मजबूर किया। अदालत ने कहा कि हम इस बात से स्तब्ध हैं कि धोखेबाजों ने सुप्रीम कोर्ट और कई अन्य दस्तावेजो के नाम पर न्यायिक आदेश गढ़े।