
तमिलनाडु सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें दो बिल पर राष्ट्रपति को निर्णय नहीं लेने के निर्देश देने की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तमिलनाडु सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें राष्ट्रपति को दो विधेयकों पर निर्णय न लेने का निर्देश देने की मांग की गई थी जो राज्य के अनुसार मंत्रिपरिषद की सलाह की अवहेलना करते हुए राज्यपाल द्वारा ‘असंवैधानिक’ रूप से उसके पास भेजे गए थे। इनमें से एक विधेयक कलैगनार विश्वविद्यालय की स्थापना और दूसरा विधेयक तमिलनाडु शारीरिक शिक्षा और खेल विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन से संबंधित था।
सीजेआई बी आर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि हम राष्ट्रपति को निर्णय लेने से रोकने वाला आदेश पारित नहीं कर सकते। यह बात तब कही गई जब सीनियर एडवोकेट पी विल्सन ने दलील दी कि राज्यपाल ने मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह देने के संवैधानिक आदेश का उल्लंघन किया है।
राज्यपाल के अधिकार क्षेत्र पर सवाल – राज्यपाल के फैसले को चुनौती देने वाली तमिलनाडु सरकार की दो रिट याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित करते हुए बेंच ने कहा कि स्पष्ट तस्वीर पाने के लिए आपको अधिक से अधिक चार सप्ताह का इंतजार करना होगा। चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली पांच जजों की बेंच ने 11 सितंबर को राष्ट्रपति के संदर्भ पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसमें राज्य विधानसभा की तरफ से पारित विधेयकों को मंजूरी देने या न देने के लिए राष्ट्रपति और राज्यपालों के लिए समय सीमा तय करने के सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाया गया था।
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