
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार चुनाव अभियान की शुरुआत मिथिलांचल से की, जहां उन्होंने कर्पूरी ठाकुर की विरासत को याद किया। यह क्षेत्र 80 विधानसभा सीटों के साथ महत्वपूर्ण है और यहां EBC वोट बैंक पर एनडीए का विशेष ध्यान है। बीजेपी सांस्कृतिक पहचान और विकास के मुद्दों को भी भुनाने की कोशिश कर रही है।
बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां जोरों पर है। सभी पार्टियों वोटरों को लुभाने के लिए और उन तक अपनी पहुंच बनाने के लिए तरह-तरह के प्रयास कर रही हैं। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार विधानसभा चुनावों के लिए एनडीए के अभियान की शुरुआत पटना या मगध की बजाय मिथिलांचल के दिल से की। पीएम मोदी का यह फैसला भावनाओं और रणनीति दोनों से भरा था।
उन्होंने समाजवादी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की विरासत को याद किया, जो अति पिछड़ी जातियों के बीच एक बड़े नेता थे। मोदी ने सभा के दौरान कहा कि, कर्पूरी ठाकुर ने अपना जीवन गरीबों और पिछड़ों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। उनके आदर्श आज भी हमारा मार्गदर्शन करते हैं।’ पीएम मोदी ने यह बात ऐसे क्षेत्र में कही जहां पर कर्पूरी ठाकुर को आज भी आदर सम्मान के साथ देखा जाता है। दिलचस्प है कि इस सीट को तेजस्वी यादव की पसंदीदा सीटों में से एक माना जाता है।
क्यों महत्वपूर्ण है मिथिलांचल? – बिहार के राजनीतिक भूगोल को पांच प्रमुख क्षेत्रों—तिरहुत, मिथिलांचल, कोसी-सीमांचल, मगध और भोजपुर में बांटा जा सकता है। जिसमें मिथिलांचल बिहार की राजनीति में एक विशेष स्थान रखता है। इसमें मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर जैसे जिले आते हैं। यहां 80 विधानसभा सीटें हैं, जो राज्य की कुल 243 सीटों का एक बड़ा हिस्सा हैं। इस क्षेत्र में मैथिल ब्राह्मण, यादव, दलित, मुस्लिम का मिश्रण है। 2020 के विधानसभा चुनावों में एनडीए की जीत में मिथिलांचल की भूमिका महत्वपूर्ण थी। 2024 के लोकसभा चुनावों में भी बीजेपी और जदयू ने इस क्षेत्र की सभी सात सीटें जीतीं।
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