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शिव पुराण: भगवान शिव ने बताए हैं मृत्यु के ये लक्षण


शिव पुराण को सभी पुराणों में से ऊपर माने जाता है। इसके नाम से ही स्पष्ट है कि इस पुराण के ग्रंथ के आधिपत्य भगवान शंकर यानि भोलेनाथ है। इसमें इनसे संबंधित बहुत सी बातों का वर्णन पढ़ने समझने को मिलता है। आज हम आपको इस पुराण में वर्णित कुछ एेसी बातों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें मृत्यु से संबंधित कुछ बातें बताई गई हैं। इतना ही नहीं इन बातों का वर्णन स्वयं शिव जी ने किया है।
तो अगर आुपको भी मृत्यु के बारे में जानने की जिज्ञासा है तो शिवपुराण में भगवान शिव ने माता पार्वती को मृत्यु से संबंधित कुछ संकेत बताएं हैं जिन्हें जानकर यह जाना जा सकता है की कब और कितने समय में व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त होगा।
इन संकेतों से लगभग 6 महीने के अंतराल पर व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है-
शरीर का रंग यकायक सफेद अथवा पीला हो जाना और लाल रंग के मार्क दिखने लगना।
मुंह, कान, आंख और जीभ अच्छी तरह से काम न करें।
मुंह और गला घड़ी-घड़ी सूखने लगना।
सूर्य-चन्द्रमा के दिखने पर भी दिशाओं का बोध न होना।
अनायास चंद्रमा और सूर्य का रंग काला दिखने लगे और सारी दिशाएं घुमती नजर आएं।
पानी, तेल, घी, कांच और दर्पण में अपनी परछाई न दिखना अथवा बिना सिर के दिखना।
आग की रोशनी धुंधली दिखना स्वयं को चारों ओर से अंधकार में महसूस करना।
डरावनी आवाजे सुनाई न देना।
सूर्य देव, सप्तर्षि या ध्रुव तारे का दर्शन न होना।
काली रात में इंद्रधनुष का दिखना।
इन संकेतों से बहुत कम दिन बचते हैं व्यक्ति के पास
7 दिनों तक बायां हाथ लगातार फड़कता रहे, शरीर में अंगड़ाईयां आने लगें अथवा तालू सूख जाए।
चंद्रमा व सूर्य के ईर्द-गिर्द लाल अथवा काले घेरे दिखाई देने लगें।
सहसा नीली मक्खियां घेर लें।
सिर के ऊपर गिद्ध, कौआ या कबूतर आकर बैठ जाएं अथवा गिद्ध और कौवे घेर लें।