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क्या आप जानते हैं, प्राण और इन्द्रियों में से कौन है श्रेष्ठ ?


हमारे हिंदू धर्म में बहुत से ग्रंथ व उपनिषद हैं, जिनसे हमें बहुत सी ज्ञान की बातें जानने को मिलती हैं। छान्दोग्य उपनिषद में एक कथा प्रसिद्ध है कि एक बार प्राण और इन्द्रियों में झगड़ा हो गया कि श्रेष्ठ कौन है? उनके बीच में सुलह न हो पाने के कारण इन्द्रियां और प्राण प्रजापति के पास गए। इन्द्रियों में वाणी, आंख, नाक, कान, त्वचा सभी ने एक स्वर में कहा- हम श्रेष्ठ हैं। प्राण ने भी ऐसा ही कहा। दोनों की बात सुनकर प्रजापति ने कहा कि तुम दोनों में जिसके निकल जाने पर शरीर बहुत बुरा-सा दिखाई देने लगे, वही सबसे श्रेष्ठ है। इतना सुनते ही शरीर से वाणी निकल गई, जिससे शरीर गूंगा हो गया।
देखने की शक्ति निकलने से अंधा हो गया, सुनने की शक्ति निकल गई तो शरीर बहरे की तरह जीवित रहा। इस प्रकार सभी इन्द्रियों के निकलने पर भी शरीर रहा। अंत में मन भी निकल गया, जिसके जाते ही शरीर मूढ़ और बच्चे की तरह हो गया। इस प्रकार इन्द्रियां अपना प्रयोग कर चुकी थीं। अब प्राण की बारी थी, जब प्राण जाने लगे तो शरीर मुर्दे की तरह होने लगा। यानि जब शरीर से आत्मा का साथ छूट जाता है तो व्यक्ति के पास कुछ नहीं रहता, उसे मृत घोषित कर दिया जाता है।
उसी समय सभी इन्द्रियों ने एक साथ प्राण से कहा कि हे भगवान! तुम ही हमारे स्वामी हो, तुम ही श्रेष्ठ हो, तुम शरीर से बाहर मत निकलो। असलियत में प्राण के ही सहारे इन्द्रियां व मन कार्य करते हैं। ये सब प्राण के ही अधीन हैं, इन पर प्राण का ही नियंत्रण है। अत: प्राण की प्राणायाम से उपासना करनी चाहिए।
यदि शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ रहना है, तो प्राणायाम का अभ्यास नियमित करना चाहिए। उपनिषद में इसको प्राणोपासना कहा गया है कि प्राण की उपासना करो, क्योंकि प्राण ही जीवन है।