
आषाढ़ माह में शनिवार के दिन अमावस्या का आना 10 वर्ष बाद हुआ है। 24 जून को यह शुभ दिन आएगा। इससे पूर्व 2007 में ये योग बना था, भविष्य में 17 साल बाद यानी 2034 में ये योग दोहराया जाएगा। हलहारिणी अमावस्या के साथ ही आर्द्रा नक्षत्र, वृद्घि योग और नाग करण होने से शनि दोषों का शमन करने के लिए यह दिन बहुत खास है। वर्तमान समय में शनि वक्री चाल चल रहे हैं, शनि की दशा से भी राहत पाने का यह सुनहरी अवसर है।
अमावस्या का पुण्यकाल 23 व 24 जून दो दिनों तक रहेगा। अमावस्या तिथि 23-24 जून को रहेगी। इसका शुभांरभ 23 जून सुबह 11:50 बजे होगा और विश्राम 24 जून 8:00 बजे हो जाएगा। अमावस्या तिथि में पितृकर्म करने वाले जातक 23 जून को उनके निमित्त दान-पूजा आदि कर सकते हैं।
जो जातक कालसर्प दोष, पितृदोष, ढय्या और साढ़ेसाती से गुजर रहे हैं उन्हें राहत दिलाएगा 23-24 जून को किया गया रुद्राभिषेक, पितृदोष शांति पूजन और शनि उपाय। ज्योतिष विद्वानों का मानना है कि इस रोज आस्था और श्रद्धा भाव से किया गया दान पुण्य चार गुना फल देता है।
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