
दिल्ली से लेकर श्रीनगर तक आतंकी धमाकों से दहल चुका है। दोनों जगहों पर धमाकों के तार फरीदाबाद आतंकी मॉड्यूल से ही जुड़ रही हैं। इन आतंकी वारदात का कनेक्शन एक प्रतिबंधित स्विस ऐप से जुड़ रहा है, जिसकी जांच शुरू हो चुकी है।
पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की वजह से चार दिनों के अंदर दिल्ली से लेकर श्रीनगर तक दहल उठे हैं। अब जांच एजेंसियां उस मैसेजिंग ऐप में दबी जानकारियां जुटाने में जुट गई हैं, जो भारत में 2023 से ही प्रतिबंधित है। यह ऐप स्विट्जरलैंड की एक कंपनी की है। अब जांच एजेंसी इस कंपनी से उसके ऐप के बारे में संपर्क करने वाली है, ताकि इसके एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग प्लेटफॉर्म तक पहुंच सके और इस आतंकवादी वारदात से जुड़े तीन प्रमुख संदिग्धों डॉ उमर उन नबी, डॉ मुजम्मिल अहमद गनी और डॉ शाहीन सईद के खूंखार मंसूबों का पर्दाफाश कर सके। इनमें से उमर नबी वही फिदायीन हमलावर है, जिसने आत्मघाती हमले में लाल किले के पास आई20 कार को धमाके में उड़ा दिया था।
बैन Swiss app का धमाके में इस्तेमाल! – इस आतंकी वारदात की जांच नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) कर रही है। अब तक हुई जांच में उमर, शाहीन और मुजम्मिल के बीच हुई चैटिंग से जो मेटाडेटा खंगाला गया है, उसकी पड़ताल चल रही है। ET की एक रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारियों ने कहा है कि यह इस तरह का ऐप है, जिससे सीमित जानकारी ही मिल पा रही है। उनका कहना है कि इस विदेशी ऐप को भारत में 2023 में ही बैन कर दिया गया था। लेकिन, संदिग्धों ने शायद अपना लोकेशन छिपाते हुए इसके उपयोग के लिए वीपीएन (Virtual Private Network) नेटवर्क का इस्तेमाल किया।
कैसे जुटाए इतनी मात्रा में विस्फोटक? – पहले पुलिस ने बताया था कि संदिग्धों ने अपने मंसूबों को अंजाम देने के लिए 26 लाख रुपये जुटाए थे, जिसे सुरक्षित रखने और इस काम में इस्तेमाल के लिए उमर के हवाले कर दिया गया था। इस रकम में से 3 लाख रुपये से गुरुग्राम, नूंह और नजदीकी शहरों से करीब 26 क्विंटल नाइट्रोजन , फॉस्फोरस और पोटेशियम जैसी फर्टिलाइजर खरीदी गई। इन फर्टिलाइजरों में ऐसे केमिकल मिलाए गए, जो आमतौर पर इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसव डिवाइस (IED) बनाने में काम आते हैं। इस रकम को लेकर उमर और मुजम्मिल में विवाद की रिपोर्ट भी सामने आ चुकी है।
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