
हम अक्सर देखते हैं कि लोग मंदिर में जाने से पहले जूते उतार देते है लेकिन क्या आप जानते है एेसा क्यों? आपको बता दें कि इसके पीछे कुछ ठोस तथ्य है। जूते और चप्पल में कई तरह की धातुओं का प्रयोग किया जाता है। यह धातुएं नकरात्मक ऊर्जा मानी जाती है जो वार्तावरण को प्रदूषित करती है। वहीं मंदिरों के चारों तरफ ईश्वरीय प्रभाव माना जाता है। इसी कारण लोग मंदिर में जूते पहनकर नहीं जाते।
कहा जाता है कि मंदिर के प्रांगण में चारों तरफ गंदगी न फैले इसीलिए जूते-चप्पलों को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाता। इस प्रथा को इसलिए चलाया गया है ताकि मंदिर में अंदर अमीर और गरीब आदमी में कोई फर्क न हो। इसके अलावा हम अपने सहज भाव में मंदिर से ईश्वर की अराधना कर सके।
इस बात को तो सभी जानते है कि मंदिर के वातावरण में शीतलता हमेशा बनी रहती है इसलिए हम वहां नंगे पांव जाते हैं। जिसे पैरों से हमें ठंडक का अहसास हो सकें। इसीलिए सभी मंदिर में बिना जूते पहने जाते हैं।
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