
वैज्ञानिक एक ऐसी नई तकनीक विकसित कर रहे है, जिससे माना जा रहा है कि रोबोटिक हृदय के बाद अंग प्रत्यारोपण से निजात मिल सकेगी। हृदयवाहिनी से जुड़े बेहतरीन शोधकर्ताओं की टीम में ऑक्सफोर्ड, इंपीरियल कॉलेज लंदन, हार्वर्ड और शेफील्ड के विशेषज्ञों सहित दुनिया के कई अन्य बड़े शोधकर्ता शामिल हैं। रोबोटिक दिल के साथ ही चुने गए प्रोजेक्ट्स में हृदय रोग के लिए टीका, हृदय के दोषों के लिए आनुवंशिक इलाज और इनमें सबसे बेहतरीन अगली पीढ़ी के लिए ‘पहनने योग्य’ तकनीक शामिल है, जो कि दिल का दौरा पड़ने और स्ट्रोक होने से पहले हो पता कर सकता है। यह तकनीक कई मायनों में आमूलचूल बदलाव लाने वाली होगी।
यह उपकरण हृदय रोग के उपचार को बदलने के लिए तीन करोड़ पौंड (करीब दो अरब 79 करोड़ रुपये) की राशि के पुरस्कार के लिए चयनित चार परियोजनाओं में से एक है। ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन (बीएचएफ) तीन करोड़ पौंड के ‘बिग बीट चैलेंज’ का वित्त पोषण कर रहा है। उसे 40 देशों की टीमों से 75 आवेदन प्राप्त हुए थे। चार फाइनलिस्टों को आगामी छह माह में अपने विचारों को मूर्तरूप देने के लिए शुरुआती राशि के तौर पर 50 हजार पौंड दिए गए हैं। इनमें से एक को गर्मियों में मुख्य पुरस्कार के लिए चुना जाएगा। यह बीएचएफ के 60 साल के इतिहास में विज्ञान को आगे बढ़ाने में अकेला सबसे बड़ा निवेश है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह रोबोटिक हृदय के सामने आने के बाद आठ सालों में अंग प्रत्यारोपण की समस्या से निजात मिल जाएगी। नीदरलैंड, कैंब्रिज और लंदन के विशेषज्ञ मिलकर एक ‘सॉफ्ट रोबोट’ हृदय विकसित कर रहे हैं, जो कि शरीर के नजदीक खून के दौरे को नियमित रखेगा। उनका लक्ष्य तीन सालों में इसके कार्यशील नमूने को जानवरों में और उसके बाद 2028 तक मानवों में प्रत्यारोपित करना है।एम्सटर्डम विश्वविद्यालय के नेतृत्व में ‘हाइब्रिड हार्ट’ प्रोजेक्ट सिंथेटिक रोबोटिक सामग्री का उपयोग करता है। यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा स्वीकृत डिवाइस को सुनिश्चित करने के लिए प्रयोगशाला में निर्मित मानव कोशिकाओं की परतों के साथ मिलकर हृदय के संकुचन को दोहराता है। यह एक वायरलेस बैट्री द्वारा संचालित होता है। यह सैकड़ों लोगों की जान बचा सकता है।
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यह हृदय प्रत्यारोपण की जगह लेगा। ऑक्सफोर्ड और हार्वर्ड की अगुआई वाली टीम आनुवंशिक हृदय दोषों को ठीक करने का तरीका विकसित करने पर काम कर रही है। कैम्ब्रिज और वेलकम सेंगर इंस्टीट्यूट की कोशिकाओं का मानचित्र बनाने में जुटी है, जिससे दिल के दौरे और स्ट्रोक के कारण का पता लगाया जा सके। बेल्जियम में कैथोलिक विश्वविद्यालय और शेफील्ड विश्वविद्यालय के नेतृत्व में नई ‘पहनने योग्य’ तकनीक का निर्माण किया जा रहा है।
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