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काव्य

कभी जब तेरी याद आ जाय है

• फ़िराक़ गोरखपुरी जन्म: 28 अगस्त 1896 | निधन: 1982 कभी जब तेरी याद आ जाय है दिलों पर घटा बन के छा जाय है शबे-यास में कौन छुप कर नदीम1 मेरे हाल पर मुसकुरा जाय है महब्बत में ऐ मौत ऐ ‍‍ज़ि‍न्दगी मरा जाय है या जिया जाय है पलक पर पसे-तर्के-ग़म2 गाहगाह सितारा कोई झिलमिला जाय है तेरी याद …

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कविता : फिर बसंत आना है – कुमार विश्वास

तूफ़ानी लहरें हों अम्बर के पहरे हों पुरवा के दामन पर दाग़ बहुत गहरे हों सागर के माँझी मत मन को तू हारना जीवन के क्रम में जो खोया है, पाना है पतझर का मतलब है फिर बसंत आना है राजवंश रूठे तो राजमुकुट टूटे तो सीतापति-राघव से राजमहल छूटे तो आशा मत हार, पार सागर के एक बार पत्थर …

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