समूचा जन-समुदाय कलियुग की आपदायें सहता हुआ त्राहि-त्राहि कर रहा था। जन-समुदाय की करुण पुकार पर आसमान में एक छवि अंकित हुई और आकाशवाणी हुई- ‘‘तुम लोग कौन?’’ एक छोटे से समूह से आवाज उभरी-‘‘हिन्दू।’’ और आसमान से एक हाथ ने आकर उस हिन्दू समुदाय को आपदाओं से मुक्त कर दिया। अभी भी कुछ लोग त्राहि-त्राहि कर रहे थे। पुनः …
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कविता : फिर बसंत आना है – कुमार विश्वास
तूफ़ानी लहरें हों अम्बर के पहरे हों पुरवा के दामन पर दाग़ बहुत गहरे हों सागर के माँझी मत मन को तू हारना जीवन के क्रम में जो खोया है, पाना है पतझर का मतलब है फिर बसंत आना है राजवंश रूठे तो राजमुकुट टूटे तो सीतापति-राघव से राजमहल छूटे तो आशा मत हार, पार सागर के एक बार पत्थर …
Read More »चुटकुले : टांग नीली – मम्मी को बताऊंगा
प्रस्तुति : मयंक गुप्ता सलीम भाई की एक टांग नीली हो गयी.. हकीम:—- शायद जहर फ़ैल गया है टांग काटनी पड़ेगी… कुछ दिन बाद दूसरी भी नीली पड़ गयी… हाकिम:— इस टांग में भी जहर फ़ैल रहा है ये भी काटनी पड़ेगी… हाकिम ने दोनों टांगे काट दी और आर्टिफिसियल टांग लगा दी.. कुछ दिन बाद आर्टिफिसियल टांग भी नीली …
Read More »कहानी : सुख की माया में खोया मन
व्यंग : आदमी कब कब – पुरुष से पिता बनता है
जोक्स : सुहाग रात और सत्संग और बापू की बिल्ली
सुहाग रात और सत्संग सुहाग रात के दिन पति दरवाजा बंद कर के अपनी पत्नी के करीब गया। उसका घूंघट उठाकर बोला- आज से हम पति-पत्नी हैं। घर के सभी बड़े-बुजुर्गों को सम्मान देना। उनका आशीर्वाद पाना। छोटों को प्यार देना। सभी के साथ अच्छा बर्ताव करना। सुबह-शाम भगवान की पूजा पाठ करना। घर में किसी को भी कभी कोई …
Read More »जोक्स : दिमाग का दही और दोस्तों की शादी
दिमाग का दही बेटी– मां मुझे कुछ ताजा हवा चाहिए। क्या मैं बाहर चली जाऊं? मां– हां लेकिन अपनी ‘ताजी हवा’ से कहना 8 बजे से पहले घर छोड़ दे। *** दो दोस्त शादी के सालों बाद मिले। पहला दोस्त – औरभाई कैसी है तेरी बीवी? दूसरा दोस्त – स्वर्ग की अप्सरा, और तेरी? पहला दोस्त (मायूस होते हुए) – मेरी तो अभी …
Read More »व्यंग : कुत्ते भी कभी बाट कर खाते हैं
अन्य मुहल्लों की तरह हमारे मुहल्ले में भी बहुत सारे कुत्ते रहते हैं। पर जिन दो कुत्तों की यह कहानी है, वे अन्य कुत्तों से बिलकुल भिन्न हैं। वे परम मित्र हैं। उनकी मित्रता इतनी प्रगाढ़ है कि मुहल्ले वाले उनकी दोस्ती की कसमें तक खाते हैं। अपने बच्चों को नसीहत देते वक्त उनकी मिसालें देते हैं। आज तक इन …
Read More »टिपण्णी : सांप्रदायिकता से जूझते अफ़सानानिगार मंटो
अरुण प्रसाद रजक सआदत हसन मंटो का पूरा संघर्ष आदमीयत या इंसानियत के लिए था। वे जानते थे कि अहसास के शुरुआती छोर से लेकर आखिरी छोर तक एक इन्सान सिर्फ इन्सान है, उससे बड़ा न कोई धर्म है, न मज़हब, न व्यवस्था। मंटो आदमीयत के इस अहसास से अच्छी तरह वाकिफ़ थे। उनके अफ़सानों का सरोकार न राजनीति से …
Read More »व्यंग : स्वतंत्र हो गऐ हैं
उस दिन मंदिर चैक पर फिर वही घटना घटी। विपरीत दिशा से दो मोटरसायकिले तेज रफ्तार से दौड़ती, लहरातीं-बलखातीं और लोगों के मन में दहशत पैदा करती आईं और बीच चैराहे पर खड़ी हो गईं। दोनों पर दो-दो युवक सवार थे। चारों युवक गप्पबाजी करने लगे। उनके हावभाव से ऐसा तो बिलकुल नहीं लगता था कि चैराहे से जुड़ने वाली …
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