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क्रिटिकल मिनरल्स,रेयर अर्थ पर चीन-ट्रंप की दादागिरी नहीं चलेगी, भारत-रूस का मेगा प्लान


भारत और रूस ने दुनिया के एक बहुत बड़ी मौजूदा समस्या को दूर करने के क्षेत्र में भी हाथ मिला लिया है। यह चीज है रेयर अर्थ मेटल और क्रिटिकल मिनरल्स। रूस और भारत अब इस दिशा में मिलकर काम कर रहे हैं।
दिसंबर की शुरुआत में भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दिल्ली आए थे, उस दौरान दोनों देशों के बीच क्रिटिकल मिनरल्स और रेयर अर्थ से जुड़े मुद्दों पर भी व्यापक चर्चा हुई थी और उसका असर अब दिखाई पड़ने लगा है। भारत और रूस मिलकर इस क्षेत्र में ज्वाइंट प्रोजेक्ट पर काम करने की कोशिशों को बढ़ावा देने में जुट गए हैं। भारत और रूस की दोस्ती की यह नई पहल अमेरिका और चीन के लिए बड़े झटके से कम नहीं है। क्योंकि, पिछले कुछ महीनों में इन दोनों ही देशों ने क्रिटिकल मिनरल्स और रेयर अर्थ पर दुनिया को अपनी उंगलियों पर नचाने की कोशिश की है।
भारत-रूस की दोस्ती में नई पहल – ET की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत और रूस क्रिटिकल मिनरल्स और रेयर अर्थ से जुड़े संयुक्त प्रोजेक्ट को बढ़ावा देने में जुट चुके हैं। दिसंबर की शुरुआत में भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में दोनों देशों ने आपसी व्यापार को बढ़ावा देने पर सहमति जताई थी और साथ ही इन आवश्यक प्राकृतिक तत्वों की खोज, उनकी प्रोसेसिंग और रिफाइन करने की टेक्नोलॉजी में व्यापक सहयोग को भी तैयार हुए थे। ये प्राकृतिक तत्व ग्रीन एनर्जी की दिशा में बढ़ने और मॉडर्न टेक्नोलॉजी के लिए बहुत ही ज्यादा आवश्यक हैं।
क्रिटिकल मिनरल पार्टनरशिप पर जोर – गिरेडमेट इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर और रेयर एंड रेयर अर्थ मेटल्स एसोसिएशन के एक सदस्य आंद्रे गोलिने ने हाल ही में रूस की एक सरकारी मीडिया आरआईए नोवोस्ती को इस बात की जानकारी दी थी कि रेयर मेटल्स और रेयर अर्थ एलिमेंट्स (RM और REE) के उसके घरेलू भंडारों को विकसित करने में रूसी और भारतीय निवेश सैकड़ों मिलियन डॉलर तक पहुंच सकते हैं। उनका कहना है कि इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और पवन ऊर्जा जैसे उद्योगों में हो रहे तेज विकास को देखते हुए भारत की रेयर मेटल्स और रेयर अर्थ एलिमेंट में दिलचस्पी बढ़ रही है। 5-6 दिसंबर के वार्षिक शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्रिटिकल मिनरल पार्टनरशिप पर पर विशेष जोर दिया था।