
राधा अष्टमी यानी श्रीकृष्ण के दिव्य प्रेम का आविर्भाव दिवस। ब्रज के जनों का विश्वास है कि श्रीकृष्ण को प्राप्त करने का सबसे सरल उपाय श्री राधा कृपादृष्टि से ही प्राप्त हो सकता है। कृष्णभक्तों का यह एक महत्वपूर्ण दिवस है। इस दिन गोपियों की सर्वप्रिय श्रीराधा रानी प्रकट हुईं, तब से इस पावन पर्व को श्रीराधा जन्माष्टमी के नाम से ब्रज मंडल में ही नहीं सम्पूर्ण भारतवर्ष में मनाया जा रहा है। श्रीराधा भगवान कृष्ण की सर्वोच्च भक्त होने के कारण सदैव भगवान कृष्ण के साथ पूज्य हैं।
श्रीराधा को भगवान श्रीकृष्ण की आह्लादिनी शक्ति माना गया है। राधा एवं कृष्ण का प्रेम संबंध एक साधारण प्रेम संबंध नहीं है बल्कि यह आध्यात्मिक स्तर का प्रेम है जो सहज रूप में सामान्य मानव की समझ से परे है। कृष्ण का एक अर्थ ‘सर्वाकर्षक’ है। श्रीराधा का स्थान इतना ऊंचा है कि वे सर्वाकर्षक को भी आकर्षक कर सकती हैं।
श्रीराधा अष्टमी पर वृषभानु दुलारी से प्रार्थना करें कि :
तप्तकांचन गौरांगि राधे वृंदावनेश्वरि। वृषभानुसुते देवि प्रणमामि हरिप्रिये।
अर्थात : मैं उन राधारानी को प्रणाम करता हूं जिनकी शारीरिक कांति पिघले सोने के सदृश है, जो राजा वृषभानु की पुत्री हैं और भगवान कृष्ण को अत्यंत प्रिय हैं।
वह हरिप्रिया कहलाती हैं जो कि भगवान कृष्ण को अतिप्रिय हैं। उन्होंने कहा कि वृंदावन जो कृष्ण की अंतरंग लीलाओं का स्थान हैं, श्रीराधा वहां की महारानी हैं और सभी जीव बस राधे! पुकार करते हुए उनके सौम्य हृदय से कृपा की एक बूंद की अभिलाषा कर रहे हैं।
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