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भोजन करने से पहले कर लें ये काम, रोगों से सदा दूर रहेंगे आप


भोजन का प्रधान नियम है कि मनुष्य को पहले सारे ब्रह्मांड के प्राणियों को खिलाकर स्वयं खाना चाहिए। यहां प्रश्र किया जा सकता है कि यह कैसे संभव हो सकता है कि हर मनुष्य अपने लिमिटेड भोजन से सारे ब्रह्मांड के अनगणित प्राणियों को संतुष्ट कर सके? शास्त्रों में इस नियम को फॉलो करने के लिए एक बहुत ही सरल मार्ग का निर्देश दिया है जिसका नाम है बलि वैश्वदेव।
प्रत्येक गृहस्थ के यहां हर रोज़ पांच प्रकार से बहुत से जीवों की अनिवार्य हत्या होती है। चूल्हे में आग जलाते, अन्न को कूटते, पीसते, छानते-पछोड़ते समय और जल घट रखते समय बहुत से जीव न चाहते हुए भी मर जाते हैं। इन पांच हत्याओं को दूर करने के लिए प्रत्येक सद्गृहस्थ को हर रोज़ पांच महायज्ञ करने की शास्त्र विधि है-

1. वेदादि शास्त्रों का पढ़ना और पढ़ाना ब्रह्मयज्ञ है।

2. पितरों का तर्पण करना पितृयज्ञ है।

3. हवन करना देवयज्ञ है

4. बलि वैश्व, देव भूतयज्ञ है और

5. अभ्यागत को भोजन खिलाना अतिथि यज्ञ है।
तात्पर्य यह है कि यदि धन सम्पन्न पुरुष स्वयं पकाएं और स्वयं ही खा जाएं परन्तु भोजन मात्र पर धर्म प्रचार करने वाले संन्यासियों-महात्माओं साधुओं और विद्वानों की सार खबर न लें, तो इससे निश्चित ही धर्म प्रचार की और वेदादि शास्त्रों के पठन-पाठन की सबकी सब परम्परा का नाश हो जाएगा।
दूसरे को भूखा देखकर भी खुद भरपेट खाने वाले लोग शायद इसीलिए अजीर्ण बदहज्मी रोग के शिकार रहते हैं। कारण स्पष्ट है कि जो धनिक देव, पितृ, अतिथि, पूज्य, विद्वान, अनाथ और विधवाओं का भाग न निकाल कर स्वयं अकेले ही सबका स्वत्व हड़पने का प्रयास करेंगे तो प्राणीमात्र के हृदय में जठराग्रि रूप से विराजमान भगवान प्रथम तो भोजन को देखते ही अनिच्छा-अरुचि प्रकट करेंगे। इतने पर भी यदि सेठ साहिब जबरदस्ती भोजन डालने का प्रयत्न करेंगे तो भगवान केवल उतना भाग ही पचने देंगे जितना इसका वस्तुत: अपना है, अन्य व्यक्तियों के भाग जीर्ण न होने पाएंगे।
भोजन खाने से पहले इन नियमों को करें फॉलो
अपना मुंह पूर्व दिशा में रखें।
अन्न की देवी मां अन्नपूर्णा को प्रणाम करें।
प्रथम ग्रास गौ माता और देवताओं के लिए निकालें।
जल से भोजन की थाली का चुलू करें और इस मंत्र का जाप करें- ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम् । ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्म समाधिना ।।

थाली में उतना ही खाना लें, जितना आप खा सके। जूठन न छोड़ें।

भोजन करने के बाद इस मंत्र का जाप करें- अन्नाद् भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसंभवः।