
दशकों से अमेरिका ने मध्य पूर्व में फैले अपने ठिकानों पर हजारों सैनिकों को तैनात रखा है, ताकि इस क्षेत्र से वैश्विक बाजारों तक ऊर्जा का प्रवाह सुनिश्चित हो सके। और ट्रंप प्रशासन की मौजूदा रणनीति ये हो सकती है कि वो खाड़ी से अमेरिकी सैनिकों के एक हिस्से को वापस लाना चाह रहे हों और शायद, उन सैनिकों की भरपाई पाकिस्तानी सैनिकों से करना चाह रहे हों।
पाकिस्तान के फील्ड मार्शल असीम मुनीर लगातार दो महीने में दूसरी बार अमेरिका पहुंचे हैं। उन्होंने अमेरिकी सेना के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की है। जिससे सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ऐसी क्या वजह है कि अमेरिकी सेना और पाकिस्तान के आर्मी चीफ में बार बार मुलाकात हो रही है? दरअसल,अमेरिका ने सबसे पहले 1954 में पाकिस्तान को अपनी सैन्य योजना के लिए इस्तेमाल करने का प्लान तैयार किया था। उस दौरान अमेरिका का मानना था कि मिडिल ईस्ट में अमेरिका के वर्चस्व को कायम रखने के लिए, मिडिल ईस्ट के देशों को सुरक्षा देने के लिए पाकिस्तानी सैनिक काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
पाकिस्तान के साथ मिडिल ईस्ट का ‘इस्लामिक कनेक्शन’ है। तो क्या अमेरिका फिर मध्य पूर्व में पाकिस्तान को चाहता है ? अमेरिका अतीत में ऐसा कर चुका है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, पाकिस्तान की सेना के साथ वही पुराने धुन पर नाचने की कोशिश कर रहे हैं। ये वही डांस है, जो अमेरिका पिछले 70 सालों से करता आया है। अमेरिका, पाकिस्तान के जरिए मिडिल ईस्ट को साधने की कोशिश करता रहा है और पाकिस्तान, कश्मीर समेत पूरे भारत में आतंक फैलाता आया है। तो क्या अमेरिका फिर से वही पुरानी कोशिश में जुट गया है?
Home / News / खाड़ी के मुस्लिम देशों की सुरक्षा के लिए अमेरिका को चाहिए पाकिस्तान? ट्रंप ने 70 साल पुराने समीकरण को किया जिंदा? जानें
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