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अमोनियम नाइट्रेट की ज्यादा मात्रा होने से उड़ जाता पूरा चांदनी चौक, कार में रखकर डॉक्टर डेथ ने उड़ाया


लाल किला बलास्ट को फरीदाबाद में मिले करीब 3,000 किलो के विस्फोटकों की बरामदगी से जोड़ा जा रहा है। मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि दिल्ली लाल किला बम धमाके में जिस विस्फोटक पदार्थ का इस्तेमाल किया गया है, वो अमोनियम नाइट्रेट हो सकता है। सूत्रों का कहना है कि फरीदाबाद से सुबह इसी तरह का विस्फोटक बरामद हुआ था, इस विस्फोटक को आतंकी कोड वर्ड में सफेद पाउडर भी कहते हैं। अमोनियम नाइट्रेट भी सफेद कलर का होता है। सूत्रों से जानकारी मिली है कि दिल्ली लाल किला बम धमाका करने वाला पुलवामा का डॉक्टर उमर मोहम्मद था और वही कार चला रहा था। डॉक्टर उमर मोहम्मद जैश ए मोहम्मद के उस आतंकी नेटवर्क से जुड़ा है, जिसका भंडाफोड़ फरीदाबाद में किया गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि अमोनियम नाइट्रेट क्या है। क्या यह इतना घातक हो सकता है। जानते हैं।
अमोनियम नाइट्रेट क्या है , कितना खतरनाक – अमोनियम नाइट्रेट एक औद्योगिक रसायन है जिसका इस्तेमाल आमतौर पर उर्वरकों और उत्खनन एवं खनन में विस्फोटक के रूप में किया जाता है। यह एक ऑक्सीकारक है जिसे अगर बिना संदूषित किए और उचित तरीके से जुटाया जाए तो अपेक्षाकृत सुरक्षित माना जाता है। लेकिन अगर यह किसी तरह लीक हो जाए या किसी ईंधन के साथ मिल जाए या असुरक्षित तरीके से संग्रहित हो जाए तो यह बेहद खतरनाक हो सकता है। ऐसे में अगर अमोनियम नाइट्रेट की मात्रा ज्यादा होती तो आसपास के चांदनी चौक जैसे मार्केट पूरी तरह से तबाह हो सकता था।
इन हालातों में हो सकता है भीषण विस्फोट – रायटर्स की खबर के अनुसार, अमोनियम नाइट्रेट की बड़ी मात्रा अगर ज्यादा तापमान के संपर्क में आए तो जबरदस्त विस्फोट हो सकता है। इस केमिकल को बड़े ईंधन टैंकों के पास, भारी मात्रा में और कम हवादार जगह पर रखने से भीषण विस्फोट हो सकता है। मात्रा जितनी ज्यादा होगी, विस्फोट होने का खतरा उतना ही ज्यादा होगा।
बेरूत में भी हुआ था भीषण बम विस्फोट – 2020 में बेरूत में एक भीषण बम विस्फोट हुआ था, जिसमें कम से कम 100 लोग मारे गए थे। विस्फोटक आयुधों के निपटान में विशेषज्ञता रखने वाली ब्रिटिश कंपनी अल्फोर्ड टेक्नोलॉजीज के प्रबंध निदेशक रोलांड अल्फोर्ड के अनुसार, बेरूत में बड़े पैमाने पर यह विस्फोट पारंपरिक बम के मुकाबले से काफी ज्यादा है। उन्होंने आगे कहा-यह शायद अब तक के सबसे बड़े गैर-परमाणु विस्फोटों में से एक है।