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पाकिस्तान से दोस्ती चीन को पड़ रही महंगी, भारत के ऑपरेशन सिंदूर ने करा दिया भारी नुकसान, दिल्ली ने चला दांव तो क्या होगा?


भारत और पाकिस्तान के साथ हालिया सैन्य संघर्ष और तनाव ने ये साफ कर दिया है कि चीन इस किस तरह से इस्लामाबाद की मदद कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र में कूटनीतिक मदद से लेकर सैन्य सहायता तक बीजिंग ने इस्लामाबाद का खुलकर साथ दिया। विश्लेषक तो यहां तक कहते हैं कि भारत के खिलाफ सैन्य संघर्ष में परोक्ष रूप से पाकिस्तान के लिए चीन ही लड़ रहा था। चीन ने सैन्य से लेकर तकनीकी सहायता उपलब्ध कराई थी, ऐसे में पाकिस्तान की हार चीन के लिए भी झटका है। इस बीच खुफिया सूत्रों से पता चला है कि पाकिस्तान का समर्थन चीन को बहुत महंगा पड़ा है और अब उसके ऊपर इससे दूरी बनाने के लिए अंदरूनी दबाव बढ़ रहा है।
चीन की सैन्य प्रतिष्ठा को झटका – जम्मू-कश्मीर में पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने 7 मई की सुबह तड़के ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया। भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में सटीक हमले किए, जिसमें आतंकवादियों के 9 लॉन्च पैड तबाह कर दिए गए। इसके बाद दोनों तरफ से सैन्य टकराव में तेजी आई और भारत ने पाकिस्तानी सेना के अड्डों को निशाना बनाया। पाकिस्तान ने अपनी सामरिक संपत्तियों की रक्षा के लिए चीन से मिली हथियार प्रणालियों को तैनात किया, लेकिन इसने चीनी हथियारों की पोल खोल दी।
चीन से मिली हवा से हवा में मार करने वाली पीएल-15 मिसाइल अपने लक्ष्य से चूक गई, वहीं HQ-9 वायु रक्षा प्रणाली भारतीय हमलों को रोकने में विफल रही। लाहौर में तो भारतीय हमले ने वायु रक्षा प्रणाली को ही नष्ट कर दिया। इन विफलताओं ने अंतरराष्ट्रीय हथियार बाजार में चीन की साख को नुकसान पहुंचाया है। ये ऐसे समय में हुआ है, जब चीन वैश्विक रक्षा निर्यातकों की टॉप लिस्ट में पहुंचने की कोशिश कर रहा है।
चीन के रक्षा बाजार पर चोट – चीनी हथियारों की नाकामी का असर उसके रक्षा बाजार पर पड़ा। एवीआईसी चेंगदू जैसे रक्षा शेयरों में 9 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। अफ्री, दक्षिण पूर्व एशिया और मध्य पूर्व में चीनी हथियारों के संभावित खरीदारों ने कथित तौर पर खरीद का पुनर्मूल्यांकन शुरू कर दिया है। म्यांमार ने चीनी JF-17 फाइटर जेट की आपूर्ति रोक दी है। वहीं, नाइजीरिया को एफ-7 लड़ाकू विमानों के साथ रखरखाव के मुद्दों को सामना करना पड़ रहा है।