Monday , June 30 2025 5:01 PM
Home / News / हमास की अमेरिका के युद्धविराम समझौते पर सहमति, इजरायल का मानने से इनकार, जानें डील में क्या-क्या

हमास की अमेरिका के युद्धविराम समझौते पर सहमति, इजरायल का मानने से इनकार, जानें डील में क्या-क्या


इजरायल ने अमेरिका और फिलिस्तीनी मध्यस्थों की ओर से प्रस्तावित सीजफायर समझौते को अस्वीकार कर दिया है। इजरायल ने हमास को पूरी तरह खत्म करने तक युद्ध करने की बात कही है।
इजरायल ने गाजा में युद्धविराम के लिए पेश किए गए अमेरिका के प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया है। इजरायल के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि नया सीजफायर और बंधक समझौता किसी भी इजराइली सरकार के लिए अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि हमास की ओर से सीजफायर के लिए ऐसी शर्तें लगाई गई हैं, जो इजरायल के युद्ध लक्ष्यों और बंधकों को छुड़ाने की क्षमता को कमजोर करेंगी। हमास ने सीजफायर पर अपनी सहमति जताई है लेकिन इजरायल के इनकार से गाजा में युद्ध रुकने की उम्मीद फिर कमजोर हो गई है। गाजा में अक्टूबर, 2023 से युद्ध चल रहा है। युद्ध से गाजा में 53 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं और भारी तबाही हुई है।
वायनेट की रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल के अधिकारी का कहना है कि यह समझौता हमास के सामने सरेंडर करने जैसा है। समझौते में पहले दिन केवल पांच जिंदा बंधकों को रिहा करने और 60 दिनों के बाद पांच और बंधकों को रिहा करने जैसी शर्ते हैं। इसके अलावा अमेरिका की निगरानी में इजरायल को अपनी सेना को दो महीने पहले की स्थिति में वापस बुलाने और गाजा में व्यापक मानवीय सहायता पहुंचाने की शर्त है। हमास ने समझौते पर अपने वरिष्ठ अधिकारी खलील अल-हय्या और विटकॉफ के हस्ताक्षर की भी मांग की है।
हमास की बात हम नहीं मानेंगे – इजरायली अधिकारी ने कहा, ‘हमास यह तय करेगा कि हमें दो महीने बाद पांच और बंधक मिलेंगे या नहीं, हमें अपने लोगों के शवों के लिए भी खुशामद करनी होगी। इजरायल की कोई भी सरकार इससे सहमत नहीं होगी। यह शर्तें डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ की ओर से शुरू की गई बातचीत के उस ढांचे से अलग है, जिसके लिए इजराइल प्रतिबद्ध है।
अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने ये सीजफायर मसौदा तैयार किया था। इसमें 70 दिन के युद्धविराम और गाजा पट्टी से इजरायली सेना की आंशिक वापसी के बदले में दो समूहों में दस इजरायली बंधकों की रिहाई शामिल की गई है। यह प्रस्ताव मध्यस्थों के माध्यम से फिलिस्तीनी गुट हमास को भेजा गया था। इजरायल से भी इस पर राय मांगी गई थी।