
बिहार विधानसभा चुनाव, 2025 के नतीजे आने में कुछ देर ही बाकी है। बिहार की जनता किसे ताज पहनाएगी…यह जल्द ही साफ हो जाएगा। मतगणना शुरू होने के साथ ही रुझानों से पता चलने वाला है कि बिहार में इस बार किसकी सरकार बनने जा रही है? नीतीश कुमार की फिर से ताजपोशी होगी या तेजस्वी यादव की अगुवाई वाले महागठबंधन को जनता सत्ता की कुर्सी सौंपेगी….मगर, उससे पहले इन 8 सवालों के बारे में जानते हैं, जिनके जवाब जानने के लिए आपके मन में भी उथल-पुथल मची होगी।
243 सदस्यीय बिहार विधानसभा चुनाव का रिजल्ट चंद घंटे में आने ही वाला है। उससे पहले आप-हम और पूरा देश वो 8 सवालों के जवाब जानना चाहता है, जिनके जवाब न तो गूगल बाबा के पास हैं और न ही खुद को बेहद स्मार्ट समझने वाला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के पास हैं। इन सवालों के जवाब सिर्फ और सिर्फ बिहार की जनता के पास है, जिसका फैसला सिर आंखों पर होगा। आइए-जानते हैं वो 8 सवाल कौन-कौन से हैं।
1. क्या महिलाओं के लाडले नीतीश फिर बनेंगे CM
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, बिहार में दोनों चरणों में कुल मतदान 66.91 फीसदी रहा, जो 2020 के चुनावों (57.29%) के आंकड़ों से करीब 10 प्रतिशत अधिक रहा है। इस बार दोनों चरणों में पुरुषों की तुलना में कम से कम 4,34,000 अधिक महिलाओं ने मतदान किया है। प्रतिशत के हिसाब से महिलाओं का मतदान प्रतिशत 71.6% रहा, जबकि पुरुषों का 62.8% रहा। यानी कुल मिलाकर पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ने 10 फीसदी ज्यादा मतदान किया। बिहार में शराबबंदी लागू करने के चलते नीतीश कुमार की महिलाओं में लोकप्रियता काफी है। ऐसे में अगर नतीजे एनडीए के पक्ष में आते हैं तो नीतीश कुमार एक बार फिर बिहार के मुख्यमंत्री बन सकते हैं।
2. फ्रेंडली फाइट वाली महागठबंधन की 12 सीटों का क्या होगा
बिहार की 12 सीटों पर महागठबंधन के उम्मीदवार ही आमने-सामने हैं। इसे फ्रेंडली फाइट नाम दिया जा रहा है। 6 सीटों पर लड़ाई कांग्रेस बनाम आरजेडी है, जबकि 4 सीटों पर मुकाबला कांग्रेस बनाम सीपीआई है। इतना ही नहीं, दो सीटों पर मुकेश सहनी की वीआईपी और आरजेडी आमने-सामने हैं। सिकंदरा, कहलगांव, सुल्तानगंज, वैशाली और वारिसलीगंज विधानसभा सीटों पर आरजेडी को कांग्रेस उम्मीदवार से भी मुकाबला करना पड़ा है। ऐसे में हर कोई यही पूछ रहा है कि इस दोस्ताना मुकाबले में कहीं कोई तीसरा न बाजी मार ले जाए।
3. जनसुराज क्या वोट कटवा पार्टी बनेगी, क्या गुल खिलाएगी
बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज क्या गुल खिलाएंगी, यह चुनाव परिणाम सामने आने पर पता चल जाएगा। मगर, यह सवाल सबके जेहन में है। हर कोई यह जानना चाहता है कि जनसुराज का प्रदर्शन कैसा होगा। इसने लोकसभा चुनाव में 9 फीसदी हासिल किए थे। बिहार में वैसे तो प्रशांत किशोर की रैलियों में भीड़ जमा हुई है, मगर एक्सपर्ट के अनुसार, ये सीटें नहीं जिता पाएंगे। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि जनसुराज किसका वोट कटवा बनेगी। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में 1957 से अब तक हुए चुनावों के आंकड़े देखने के बाद एक अनुमान लगाएं तो अगर जनसुराज जैसी नई पार्टी को 0-7% मिले तो उन्हें 0-5 सीटें मिल सकती हैं। अगर 14% तक वोट मिले तो 5-20 सीटें मिल सकती हैं। अगर 14-17% वोट मिले तो 21-40 सीटें मिल सकती हैं। अगर 18% से ज्यादा वोट मिले तो जनसुराज निर्णायक भूमिका में आ सकती है।
4. क्या कांग्रेस की वजह से फिर CM नहीं बन पाएंगे तेजस्वी
यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि राजद नेता तेजस्वी यादव ने 100 सीटें महागठबंधन के सहयोगी दलों के लिए पूरी तरह छोड़ दी थीं। आरजेडी ने 143 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। नवभारत टाइम्स की एक खबर के अनुसार, कांग्रेस 2020 में 70 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ी थी और सिर्फ 19 सीटें ही जीती थी। इस बार वह 61 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इन 61 सीटों में से 9 सीटों पर कांग्रेस के अलावा महागठबंधन के सहयोगी दल आरजेडी, सीपीआई और वीआईपी भी मौजूद हैं, यानी फ्रेंडली फाइट हो रही है। कांग्रेस अब जिन 52 सीटें से आस लगाए है, उनमें से भी 23 सीटें ऐसी हैं जिन पर महागठबंधन पिछले सात चुनावों में कभी नहीं जीता है। ऐसे में माना जा रहा कि कांग्रेस को ज्यादा सीटें देकर तेजस्वी ने बड़ी गलती कर दी है। उनके पिता लालू प्रसाद यादव भी यही चाहते थे कि कांग्रेस को ज्यादा सीटें न दी जाएं, मगर तेजस्वी ने नहीं माने।
5. मोकामा में जीत पहले से बन गए लड्डू, तो क्या बंटेंगे भी
बिहार विधानसभा चुनाव के रिजल्ट से पहले उम्मीदवारों के खेमे में जीत के विश्वास के साथ दावत की तैयारियां भी तेज हो गई हैं। मोकामा के बाहुबली जदयू उम्मीदवार अनंत सिंह और बाहुबली सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी आरजेडी प्रत्याशी के तौर पर मैदान में हैं। जनसुराज पार्टी के पीयूष प्रियदर्शी भी मैदान में हैं, जिनके समर्थन में दुलारचंद यादव प्रचार कर रहे थे, जिनकी हत्या के आरोप में अनंत सिंह को जेल जाना पड़ा। काउंटिंग से पहले मोकामा के दोनों प्रत्याशियों के घर पर महाभोज की तैयारी चल रही है। दोनों ही तरफ अपनी-अपनी जीत के लड्डू भी बन गए हैं। अनंत सिंह के घर पर तो 50 हजार लोगों को भोज दिए जाने की व्यवस्था भी की गई है।
6. बागी भाई तेज प्रताप का क्या होगा…ये भी तय होगा
लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे तेजस्वी ने जहां पिता की विरासत हथिया ली। वहीं, वह महागठबंधन ने उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में लालू के बड़े बेट तेज प्रताप यादव को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। तेज प्रताप ने अपनी नई पार्टी जनशक्ति जनता दल (जजद) का गठन कर स्वच्छ राजनीति के इरादे का परिचय दिया है। अब दोनों भाई आमने-सामने हैं। इस बार के नतीजे तेज प्रताप की सियासत की दिशा भी तय करेंगे।
7. योगी-मोदी ने जहां रैलियां की, उन सीटों का क्या होगा
बीजेपी नेतृत्व ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभाओं वाली सीट के आसपास की सीटों पर ही सीएम योगी आदित्यनाथ की सभाएं लगाई थीं,जिससे उन विधानसभा सीटों पर बीजेपी की पकड़ मजबूत हो सके और मजबूत चुनावी चक्रव्यूह तैयार किया जाए। दरअसल, बीजेपी की रणनीति है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रचार वाली सीटों के साथ अगल बगल की सीटों पर CM योगी की रैली होती है तो जीत पक्की हो सकती है। अब ऐसे में देखने की बात यह होगी कि योगी-मोदी के प्रचार वाली सीटों पर बीजेपी का क्या हाल होगा।
8. क्या एनडीए की नाव से चुनावी वैतरणी पार करेंगी छोटी पार्टियां
यह चुनाव इस मायने में भी बेहद खास होगा कि एनडीए में शामिल कई छोटी-छोटी पार्टियों की पौ बारह होगी। योगी-मोदी ब्रांड और एनडीए सरकार की लोकप्रियता का फायदा उन्हें यूं ही मिल सकता है। भाजपा और नीतीश कुमार की जदयू दोनों 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं। वहीं, चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 29 सीटें दी गई हैं। जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) छह-छह सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं।
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