
IMEC कॉरिडोर का उद्देश्य मध्य पूर्व के माध्यम से भारतीय बाजारों को यूरोप से जोड़ने वाली एक आधुनिक लॉजिस्टिक चेन बनाना है। इस गलियारे को लेकर तुर्की परेशान है। राष्ट्रपति एर्दोगन तो इसकी आलोचना कर चुके हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के साथ संयुक्त रूप से फोन पर बात की थी। इस दौरान भारत-मध्य पूर्व-यूरोप गलियारे (IMEC) के लिए बड़ा कदम उठा गया, जिसमें यूरोपीय नेताओं ने कॉरिडोर के कार्यान्वयन को लेकर आगे बढ़ने पर सहमति व्यक्त की। यह गलियारा भारत के सामरिक हितों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और कनेक्टिविटी क्षेत्र के रूप में नई दिल्ली की वैश्विक स्थिति को बढ़ाता है, लेकिन इस गलियारे को लेकर तुर्की परेशान है। तुर्की के राष्ट्रपति तो इसकी खुलेआम आलोचना तक कर चुके हैं। आइए तुर्की की परेशानी समझते हैं।
नई दिल्ली में हुई थी कॉरिडोर की घोषणा – सितम्बर 2023 में नई दिल्ली में आयोजित G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान एक घोषणा ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा था। यह घोषणा भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे के निर्माण के प्रस्ताव की थी। भारत, अमेरिका, यूरोपीय संघ और खाड़ी के प्रमुख देशों से समर्थित इस गलियारे का उद्देश्य मध्य पूर्व के माध्यम से भारतीय बाजारों को यूरोप से जोड़ने वाली एक आधुनिक लॉजिस्टिक चेन बनाना है।
कॉरिडोर में तुर्की को नहीं मिला भाव – इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर मुख्य रूप से दो अंतरराष्ट्रीय मार्गों से मिलकर बनता है। इसमें एक पूर्वी गलियारा है, जो भारत को अरब की खाड़ी से जोड़ता है और एक उत्तरी मार्ग को जॉर्डन और इजरायल से होकर यूरोप तक जाता है। ग्रीस, इजरायल और जॉर्डन जैसे देश इसका महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, लेकिन खुद को यूरोप और एशिया के बीच पुल समझने वाले तुर्की को इससे बाहर रखा गया है। यही वजह है कि अंकारा इसे लेकर टेंशन में है।
Home / News / भारत ने तुर्की को आउट कर दिया… IMEC कॉरिडोर को लेकर टेंशन में खलीफा एर्दोगन, एक गलियारे से बढ़ा नई दिल्ली का दबदबा
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