Friday , August 8 2025 3:21 AM
Home / News / भारत को मिले संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद की स्‍थायी सदस्‍यता… दोस्‍ती के 78 साल पूरे होने पर रूस की बड़ी मांग, मिला साथ

भारत को मिले संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद की स्‍थायी सदस्‍यता… दोस्‍ती के 78 साल पूरे होने पर रूस की बड़ी मांग, मिला साथ


संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी को एक बार फिर से दोस्‍त रूस से साथ मिला है। रूस ने दोनों देशों के बीच रिश्‍तों के 78 साल पूरे होने पर बधाई दी है। साथ ही सुरक्षा परिषद में स्‍थायी सदस्‍यता देने की मांग की है। भारत के साथ रिश्‍ते मजबूत करने पर जोर दिया है।
भारत और रूस की राजनयिक दोस्‍ती के 78 साल पूरे हो गए हैं। शीत युद्ध से लेकर पाकिस्‍तान युद्ध तक रूस ने भारत के साथ दोस्‍ती निभाई है। अब एक बार फिर से रूस ने भारत की वर्षों से चली आ रही मांग का खुलकर समर्थन किया है। रूस ने संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्‍थायी सदस्‍यता देने की मांग को फिर से दोहराया है। साथ ही रूस ने भारत के साथ आने वाले वर्षों में भी अच्‍छे रिश्‍ते बरकरार रखने की उम्‍मीद जताई है। रूस के विदेश मंत्रालय ने अपने संदेश में दोनों देशों के बीच राजनयिक रिश्‍ते स्‍थापित होने के 78 साल पूरे होने की बधाई दी। इस बीच स्‍लोवाकिया ने भी भारत की संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में स्‍थायी सदस्‍यता का समर्थन किया है।
टेलिग्राम पर दिए अपने संदेश में रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम भारत के साथ रणनीतिक भागीदारी को और मजबूत करना चाहते हैं। रूसी मंत्रालय ने कहा कि दोनों देशों के बीच राजनीतिक संवाद मजबूत बना रहेगा और दोनों देशों के नेताओं के बीच मुलाकातों का दौर जारी रहेगा। साल 2024 में पीएम मोदी और रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन के बीच दो शिखर सम्‍मेलन हुए थे। इस साल भी पुतिन भारत आने वाले हैं। रूस ने विक्‍ट्री डे परेड में पीएम मोदी को न्‍योता दिया था। इसमें हिस्‍सा लेने के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर जा रहे हैं।
भारत और रूस बढ़ाएं दोस्‍ती – रूसी विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच व्‍यापार लगातार तेजी से बढ़ रहा है और यह 60 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। इसके अलावा दोनों देश परमाणु ऊर्जा पर भी सहयोग कर रहे हैं और तमिलनाडु के कुंडनकुलम में परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगाया जा रहा है। रूस ने कहा कि दोनों देशों को रक्षा, स्‍पेस, तकनीक और सांस्‍कृतिक आदान-प्रदान को जारी रखना चाहिए ताकि एक बहुध्रुवीय दुनिया को बनाया जा सके। यह वैश्विक प्रशासन में ग्‍लोबल साऊथ की भागीदारी को बढ़ाएगा।