सिंगापुर में एक किलोग्राम गांजे की तस्करी के आरोप में भारतीय मूल के तंगराजू सुप्पैया को फांसी दे दी गई है. इससे पहले तंगराजू सुप्पैया ने जेल अधिकारियों से अपने पसंदीदा डिश खाने की इच्छा जताई. तंगराजू सुप्पैया ने जेल अधिकारियों से चिकन चावल, नसी बिरयानी, आइसक्रीम सोडा और मिलो-स्वाद वाली मिठाई के बारे में पूछा.
सिंगापुर के एक अधिकार कार्यकर्ता कोकिला अन्नामलाई ने परिवार का प्रतिनिधित्व करते हुए पुष्टि की कि राष्ट्रपति के फांसी की सजा को रद्द करने की गुहार मानने से इनकार करने के बाद सुप्पैया को फांसी दी गई थी. अन्नामलाई के अनुसार, सुप्पिया वजन कम करने की कोशिश में फांसी से पहले के हफ्तों में केवल एक बार भोजन कर रहे थे.
तंगराजू सुप्पैया ने किया पैसे का इस्तेमाल – कोकिला अन्नामलाई ने तंगराजू सुप्पैया को फांसी देने से पहले एक पोस्ट शेयर किया. उन्होंने लिखा कि 46 साल के भारतीय मूल के व्यक्ति को नौ साल बाद अपने कुछ पसंदीदा डिश खाने का मौका मिला. हालांकि, जेल अधिकारियों को मिलो-स्वाद वाली मिठाइयां नहीं मिलीं जो उसने मांगी थी.
अन्नामलाई ने कहा कि मौत की सजा पाने वाले जिन कैदियों को फांसी की सजा का नोटिस मिलता है, उन्हें मौत की सजा पाए अन्य लोगों के लिए इलाज या उनके लिए कुछ खरीदने के लिए कुछ पैसे दिए जाते हैं. हालांकि, तंगराजू सुप्पैया ने पैसे का इस्तेमाल अन्य मौत की सजा वाले कैदियों के लिए मछली बर्गर, करी पफ और कोल्ड ड्रिंक खरीदने के लिए किया.
अधिकार समूहों ने दावा किया है कि मामले में कई समस्याएं – सिंगापुर में तंगराजू सुप्पैया पर साल 2017 में 1 किलो गांजे की तस्करी करने का आरोप लगा था. उसे इस मामले से जुड़े होने और साजिश करने का दोषी ठहराया गया. इसके बाद साल 2018 में तंगराजू सुप्पैया को मौत की सजा सुनाई गई.
इसके बाद कोर्ट ऑफ अपील ने मौत की सजा के फैसले को बरकरार रखा था. इसको लेकर अधिकार समूहों ने दावा किया है कि मामले में कई समस्याएं थीं. अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों ने मामले में कई खामियों की निंदा करने के बावजूद सिंगापुर ने फांसी की सजा को आगे बढ़ाया.
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