
चीन ने कोरोना वायरस की उत्पति और इसके फैलाव को लेकर कभी अपनी गलती नहीं मानी है। अब ‘उलटा चोर कोतवाल को डांटे’ कहावत की तरह ही महामारी को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) पर निशाना साधा है। चीनी स्वास्थ्य अधिकारियों ने कोविड-19 वायरस के स्रोत की अपनी खोज का बचाव किया और WHO के प्रमुख के इस बयान पर शनिवार को संगठन की आलोचना की कि बीजिंग को आनुवांशिक जानकारी पहले ही साझा करनी चाहिए थी। ‘चाइनीज सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन’ के निदेशक शेन होंगबिंग ने कहा कि डब्ल्यूएचओ की टिप्पणियां “घृणास्पद और अपमानजनक थीं।” ” वैश्विक स्वास्थ्य निकाय के महानिदेशक, डॉ. टेड्रोस अधनोम घेब्रेयसस ने 17 मार्च को कहा था कि मध्य चीन के वुहान में कोरोना वायरस की आनुवंशिक जानकारी का जो खुलासा अब किया गया है, उसे ‘तीन साल पहले’ किया जाना चाहिए था।
दरअसल, वुहान में ही 2019 के अंत में कोविड-19 के पहले मामले का पता चला था। शेन ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “एक जिम्मेदार देश के रूप में और वैज्ञानिकों के रूप में, हमने हमेशा दुनिया भर के वैज्ञानिकों के साथ शोध के परिणामों को सक्रिय रूप से साझा किया है।” कोविड-19 की उत्पत्ति अब भी बहस का विषय है और कड़वे राजनीतिक विवाद का केंद्र बिंदु है।
चीनी अधिकारियों ने बार-बार कहा है कि कोरोना वायरस अमेरिका द्वारा तैयार किया गया और चीन भेजा गया। चीन की सरकार ने यह भी कहा है कि चीन में यह वायरस डाक या खाद्यान्नों की खेप के जरिये प्रवेश कराया गया हो, हालांकि विदेशी वैज्ञानिकों को इस दावे के समर्थन में कोई साक्ष्य नहीं दिख रहा है। शेन ने कहा कि कोविड-19 का स्रोत अभी तक नहीं मिला है, लेकिन उन्होंने कहा कि एड्स वायरस की पहचान करने में कई साल लग गए और इसकी उत्पत्ति अब भी स्पष्ट नहीं है।
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