अमेरिका हायर एजुकेशन के लिए भारतीय छात्रों की पहली पसंद रहा है। यहां की कई सारी टॉप यूनिवर्सिटीज में भारतीय पढ़ाई कर रहे हैं। हालांकि, अब हालात बदलने लगे हैं, क्योंकि ट्रंप सरकार ने वीजा कैंसिलेशन बढ़ा दिया है। इससे अमेरिका में पढ़ाई करना पहले के मुकाबले कठिन हो चुका है।
अमेरिका में पढ़ाई करना भारतीय छात्रों को दशकों से भा रहा है, तभी हजारों लोग हर साल यहां की यूनिवर्सिटीज में एडमिशन लेते हैं। हालांकि, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार की वापसी के बाद से भारतीयों की मुश्किलें बढ़ चुकी हैं। ऐसा लग रहा है कि उनकी सरकार नहीं चाहती है कि भारतीय छात्र यहां पढ़ाई करने आएं। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि आंकड़ों से इस बात का सबूत मिल रहा है। भारत के नेता भी इन आंकड़ों को लेकर काफी ज्यादा चिंतित नजर आ रहे हैं। बता दें कि अमेरिका में सबसे ज्यादा विदेशी छात्र भारत से ही हैं।
अमेरिका के ‘इमिग्रेशन एंड कस्टम एंफोर्समेंट’ (ICIE) ने विदेशी छात्रों पर एक्शन तेज कर दिया है। खबर है कि 1000 से ज्यादा विदेशी छात्रों के स्टूडेंट वीजा रद्द किए गए हैं। प्रभावित छात्रों में एक बड़ा हिस्सा भारतीय स्टूडेंट्स का हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “अमेरिकन इमिग्रेशन लॉयर्स एसोसिएशन ने एक बयान जारी किया है, जिससे भारत में चिंता बढ़ गई हैं। संगठन ने 327 वीजा रद्द होने की जानकारी दी है, जिसमें से 50% भारतीय छात्रों के हैं। वीजा रद्द होने की वजह साफ नहीं है। इससे डर और आशंका बढ़ रही है।”
आंकड़ों में क्या सामने आया है? – अमेरिकन इमिग्रेशन लॉयर्स एसोसिएशन (AILA) ने वीजा कैंसिल होने और ‘स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर्स इंफोर्मेशन सिस्टम’ (SEVIS) खत्म होने के 327 मामलों की जानकारी इकट्ठा की है, जिसमें से आधे मामले भारतीय छात्रों के हैं। SEVIS एक सिस्टम है जिससे अमेरिका सरकार विदेशी छात्रों और एक्सचेंज विजिटर्स पर नजर रखती है। वहीं, चीन के छात्रों का नंबर 14% है। उसके बाद साउथ कोरिया, नेपाल और बांग्लादेश के छात्र हैं। AILA का कहना है कि कई मामलों में वीजा कैंसिल करने की वजहें समझ में नहीं आ रही हैं।
अमेरिका में कितने भारतीय छात्र? – ओपन डोर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अकेडमिक ईयर 2023-24 में अमेरिका में 3.30 लाख भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। यह पिछले साल से 23% ज्यादा है। लेकिन अब जो अनिश्चितता का माहौल है, उससे छात्रों के सपने टूट सकते हैं। जयराम रमेश का कहना है कि विदेश मंत्री को यह मामला अमेरिका के विदेश मंत्री के सामने उठाना चाहिए। वहीं, विदेश मंत्रालय ने बताया है कि उसे अमेरिका में घटित हो रही घटनाओं के बारे में मालूम है। मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “हम मामले को देख रहे हैं और दूतावास छात्रों को संपर्क में हैं।”
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