
जापान ने विशेष रूप से एशिया में समान विचार वाले देशों को सैन्य सहायता मुहैया करने की एक योजना पेश की है क्योंकि वह ताइवान और दक्षिण चीन सागर मुद्दों को लेकर चीन के आक्रामक रुख का मुकाबला करने के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने पर गौर कर रहा है।
जापान टाइम्स की खबर के अनुसार, तोक्यो ने इस महीने की शुरूआत में कुछ दिशानिर्देश घोषित किये थे, जिनमें आधिकारिक सुरक्षा सहायता मुहैया कर समान विचार वाले देशों की सेना को मजबूत करने का एक नया कार्यक्रम भी शामिल है।
जापान का यह कदम, आपदा राहत को छोड़ कर सैन्य उद्देश्यों के लिए विकास सहायता मुहैया नहीं करने की उसकी पूर्ववर्ती नीति को तोड़ता है।
खबर में कहा गया है कि देश के विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि विदेश सुरक्षा सहायता पाने वाले प्रथम लाभार्थी में फिलीपीन भी एक देश होगा। साथ ही, मलेशिया, बांग्लादेश और फिजी के नाम पर भी विचार किया जा रहा है।
जापान चार देशों के समूह ‘क्वाड’ का सदस्य है। इसके तीन अन्य सदस्य अमेरिका, भारत और आस्ट्रेलिया हैं।
जापान, हिंद-प्रशांत रणनीति को सक्रियता से आगे बढ़ा रहा है।
हांगकांग से प्रकाशित होने वाले अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने बृहस्पतिवार को एक खबर में कहा कि सैन्य उद्देश्यों के लिए अंतरराष्ट्रीय सहायता का उपयोग करने का तोक्यो का फैसला एशिया में हथियार जुटाने की दौड़ नहीं शुरू करेगा।
इसने कहा कि बदलते सुरक्षा परिदृश्य के बीच यह कदम न केवल एशियाई राष्ट्रों की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करेगा, बल्कि जापान के रक्षा क्षेत्र को भी अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगा।
जापानी विदेश मंत्री योशीमासा हयाशी के इस महीने की शुरूआत में चीन की यात्रा के बाद पड़ोसी देशों को रक्षा सहायता देने की जापान की नयी नीति का ऐलान किया गया है।
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