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गर्लफ्रेंड को गर्भ निरोधक दवाई खिलाने से पहले जान लें ये बातें


भारत में आज भी रिश्तों को लेकर अलग सोच रखी जाती है। हमारे यहां सदियों से चली आ रही परंपराओं का सम्मान किया जाना जारी है। हालांकि, बदलते वक्त के साथ संबंध और बच्चे पैदा करने को लेकर जोड़ों की सोच में भी बदलाव देखा जा सकता है। लिव-इन का कॉन्सेप्ट बढ़ा है, तो शादी के बाद जल्दी या बिल्कुल भी बच्चा नहीं करने की सोच को भी विकल्प के रूप में अपनाया जा रहा है। इसी के साथ संबंध बनाने को लेकर भी वैचारिक रूप से बदलाव नजर आ रहे हैं।
इन सबके बीच में गर्भधारण से बचाने वाले उपायों के इस्तेमाल और बिक्री ने भी तेजी पकड़ ली है। इनमें से एक विकल्प गर्भ-निरोधक गोलियां हैं। हालांकि, इन्हें लेने वाली ज्यादातर महिलाओं और इन्हें उपलब्ध करवाने वाले पुरुष साथी को इस बारे में जानकारी नहीं है कि ये छोटी सी गोली किस तरह से न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी गहरा प्रभाव डाल सकती है।
गर्भनिरोधक गोली का सेवन करना महिलाओं के जीवन में एक महत्वपूर्ण निर्णय होता है। ये न सिर्फ गर्भधारण को रोकने का तरीका है, बल्कि उन्हें हार्मोनल बदलावों की ओर धकेलने वाला कदम भी है।
इस गोली का निर्माण ही इस तरह से किया जाता है कि ये शरीर के अंदर जाकर हार्मोन्स में इस तरह से बदलाव लाए कि प्रेग्नेंसी न हो सके।
शरीर के अंदर होने वाले ये बदलाव किसी-किसी महिला के लिए संभालना बहुत ही मुश्किल हो सकता है और वो भावनात्मक रूप से बिखरना शुरू हो जाती हैं।
मन को घेर लेता है डाउट – चाहे अनमैरिड कपल हो या फिर मैरिड कपल, अगर उनमें से सिर्फ मेल ही इस बात का निर्णय ले रहा है कि उसके साथी को गर्भ-निरोधक खाना चाहिए, तो ये मन में शंका पैदा करने लगता है।
महिला साथी के मन में कई विचार आने लगते हैं जैसे आखिर क्यों इस बारे में उनकी राय नहीं ली जा रही, क्या उनका साथी रिश्ते को गंभीरता से नहीं ले रहा, अगर गलती से प्रेग्नेंसी हो गई तो क्या उन्हें अबॉर्शन के लिए मजबूर किया जाएगा, क्या उनका कभी मां बनने का सपना भी पूरा हो सकेगा?
किसी के साथ शेयर करने से डरना – किसी भी महिला के लिए संबंध में जाना और गर्भ-निरोधक गोलियां लेते रहना ऐसा फैसला होता है, जिसके बारे में वो किसी से बात नहीं कर सकतीं। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में आज भी इसे खुलकर स्वीकार नहीं किया जाता है।
यही वजह है कि उन्हें ये डर लगा रहता है कि अगर किसी को इस बारे में पता चल गया, तो कहीं उन्हें लोगों के जजमेंटल रवैये का शिकार न होना पड़े। ये डर उन पर इस कदर हावी हो जाता है कि वो सोशल सर्कल में एक्टिव रहना तक कम कर देती हैं।
शारीरिक और मानसिक प्रभाव – गर्भनिरोधक दवाइयां महिलाओं को शारीरिक और मानसिक, दोनों रूप से प्रभावित करती हैं। शरीर पर होने वाली समस्याओं में मतली और उल्टी आना, ब्रेस्ट पेन होना और पीरियड के दौरान क्लॉटिंग होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
साथ ही महिलाओं को मूड स्विंग, स्ट्रेस, एंग्जाइटी जैसी मानसिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा महिलाओं के आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान के भाव में कमी आने लगती हैं, जिसके कारण उन्हें लोगों पर फिर से भरोसा करने और खुलकर जीने में संकोच होने लगता है।
प्रेग्नेंट न होने पर पिल्स लेने से क्या होता है – गर्भनिरोधक दवाइयों को लेकर आपको ये जानना जरूरी है कि इन्हें लेने से पहले डॉक्टर की सलाह ली जाना बेहतर विकल्प है। ऐसा इसलिए क्योंकि सभी के शरीर पर ये पिल्स एक जैसा असर नहीं दिखातीं।
कुछ महिलाएं पेट में ऐंठन, पीरियड्स में हेवी ब्लड फ्लो, ठंड लगना, बुखार, सिरदर्द होना, चक्कर और उल्टी आना जैसे साइड इफेक्ट्स का सामना भी करती हैं।
यही वजह है कि पुरुषों को भी इस बात का ख्याल रखना जरूरी है कि वो अपनी पार्टनर को गर्भनिरोधक गोली खाने पर जोर देने की जगह इससे जुड़ी डीटेल्स को जानें। समझें कि कैसे ये उनके शरीर पर असर डाल सकती है। अगर आपकी महिला साथी इसे लेकर सहज नहीं हैं, तो गर्भधारण को रोकने के दूसरे उपायों के बारे में सोचा जाना चाहिए।