
पश्चिम एशियाई देश लेबनान फिर एक बार राजनीतिक संकट से घिर गया है। शनिवार को इस देश के मनोनीत प्रधानमंत्री मुस्तफा अदीब ने सरकार गठन पर बने राजनीतिक गतिरोध के बीच इस्तीफा दे दिया है। हसन दियाब की अगुवाई वाले पिछले कैबिनेट के इस्तीफे के बाद जर्मनी में लेबनान के राजदूत रहे मुस्तफा अदीब को एक महीने पहले ही नया प्रधानमंत्री नामित किया गया था।
मनचाहा मंत्रिमंडल न बनने के कारण दिया इस्तीफा
अदीब ने कहा कि वह पद छोड़ रहे हैं क्योंकि यह साफ हो गया है कि वह जैसा मंत्रिमंडल चाहते हैं वह संभव नहीं हो पाएगा। गौरतलब है कि लेबनान बहुत बुरे आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है तथा बेरूत बंदगाह पर चार अगस्त को हुए धमाके से हालात और बदतर हो गए हैं। देश को आर्थिक मदद की बहुत आवश्यकता है लेकिन फ्रांस तथा अन्य अंतरराष्ट्रीय शक्तियों ने गंभीर सुधारों के अभाव में मदद देने से इनकार कर दिया है।
अदीब के खिलाफ भी लेबनान में हो रहे थे प्रदर्शन
अदीब के खिलाफ लेबनान में कई दिनों से प्रदर्शन हो रहे थे। प्रदर्शनकारियों के अनुसार, अदीब वर्तमान शासक वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे में लोगों को उनसे न्याय और इमानदारी की उम्मीद नहीं थी। इसी कारण बेरूत के ‘मार्टर स्कवायर’ (शहीद चौक) अल बुर्ज पर भारी संख्या में रोज प्रदर्शनकारी जमा हो रहे थे।
11 अगस्त को दियाब कैबिनेट ने दिया था इस्तीफा
जनवरी में प्रधानमंत्री नियुक्त किए गए दियाब पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के बाद 11 अगस्त को कैबिनेट के इस्तीफे की घोषणा की। राष्ट्रपति मिशेल आउन ने नई कैबिनेट के गठन तक दियाब की सरकार को एक कार्यवाहक के रूप में काम करते रहने के लिए कहा था। बंदरगाह पर असुरक्षित रूप से संग्रहित 2,750 टन अमोनियम नाइट्रेट के कारण हुए विस्फोटों में 190 लोगों को जान गंवानी पड़ी जबकि 6,500 से अधिक घायल हुए।
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