
हिंदू धर्म में धार्मिक कार्यों को करते समय कई नियमों आदि का ध्यान रखा जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जिस बात को ओर ध्यान दिया जाता है वो होता है पूजन की सामग्री आदि। मगर इसके अलावा आप ने अक्सर देखा होगा चाहे किसी भी तरह के धार्मिक अनुष्ठान हो, उसमें स्वास्तिक बनाया जाता है। मगर आज भी ऐसे बहुत से लोग हैं, जिन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है इसे बनाने की सही विधि क्या है, और इसे बनाते समय किन मंत्रों का जाप करना चाहिए। और गलती से अगर स्वास्तिक बुरा बन जाए तो उसका कैसा प्रभाव व्यक्ति पर पड़ता है। अगर आपको ये सारी बातें नहीं पता है तो भी चिंता की कोई बात नहीं क्योंकि हम आपके लिए इससे जुड़ी तमाम जानकारी लाएं हैं जिसमें हम बताएंगे इसके महत्व तथा इससे संबंधित अन्य जानकारी।
बताया जाता है कि स्वास्तिक का चिन्ह एक बहुत ही शुभ चिन्ह होता है, जिसे हिंदू धर्म के समस्त देवों से पहले पूजे जाने वाले भगवान श्री गणेश का प्रतीक चिन्ह माना जाता है। हर शुभ कार्य में भगवान गणेश की पूजा के साथ-साथ इनके प्रतीक चिन्ह स्वास्तिक को बनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है इसके शुभ प्रभाव से जिस क्षेत्र में कार्य करने जा रहे हैं उसमें सफलता ज़रूर मिलती है। तो वहीं ये नकारात्मक ऊर्जा को खत्म कर और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।
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