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जुमे की नमाज न पढ़ने वालों को जेल भेजेगा मलेशिया, लोग बोले- ऐसे में तो हम तालिबान बन जाएंगे


मलेशिया में अलग-अलग संस्कृति और धर्म के लोग रहते हैं। हालांकि, इस देश के एक सूबे ने ऐसा कानून बनाया है, जिससे लोगों की टेंशन बढ़ गई है। मलेशिया के एक राज्य ने घोषणा की है कि जुमे की नमाज न पढ़ने वाले लोगों को जेल भेजा जाएगा और उन पर जुर्माना भी लगेगा।
मलेशिया में जल्द ही जुमे की नमाज न पढ़ने वाले लोगों को जेल भेजा जाएगा। तेरेंगानु राज्य ने चेतावनी दी है कि वह शरिया कानून को पूरी तरह से लागू करने जा रहा है। ऐसे में बिना किसी ठोस कारण के जुमे की नमाज न पढ़ने पर मुस्लिम पुरुषों को दो साल तक की कैद हो सकती है। इस कदम को बहु-सांस्कृतिक मलेशिया में धार्मिक रूढ़िवाद की ओर झुकाव का प्रतीक माना जा रहा है। प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम के कार्यकाल में मलेशिया में धार्मिक कट्टरता काफी ज्यादा बढ़ी है। अभी कुछ महीने पहले ही मलेशिया में सैकड़ों साल पुरानी एक मंदिर को हटाकर वहां मस्जिद का निर्माण किया गया था, जिसका उद्घाटन अनवर इब्राहिम ने किया था।
नमाज न पढ़ने पर जेल और जुर्माना – साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, पैन-मलेशियाई इस्लामिक पार्टी के शासन वाले तेरेंगानु राज्य ने सोमवार को घोषणा की कि पहली बार ऐसा अपराध करने वोलों को अब न केवल जेल की सजा होगी, बल्कि बिना किसी वैध कारण के जुमे की नमाज में शामिल न होने पर 3,000 रिंगित (61,780 रुपये) तक का जुर्माना या दोनों भी हो सकते हैं। राज्य के सूचना, उपदेश और शरिया सशक्तिकरण मंत्री मुहम्मद खलील अब्दुल हादी ने कहा कि इस कानून का उद्देश्य लोगों को यह याद दिलाना है कि जुमे की नमाज केवल एक धार्मिक प्रतीक नहीं है, बल्कि मुसलमानों के बीच आज्ञाकारिता की अभिव्यक्ति भी है।