
बंदर को पकड़ने के बाद रेस्क्यू टीम ने उसे पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के एक स्थानीय चिड़ियाघर के पास ले गए थे. इसके बाद चिड़ियाघर के अधिकारियों ने जगह की कमी और जानवरों के डॉक्टर की कमी का हवाला देते हुए बंदर को रखने से इनकार कर दिया था.
स्ट्रीट परफॉर्मर को सौंप दें – पंजाब प्रांत के चिड़ियाघर के अधिकारियों ने रेस्क्यू टीम को सलाह दी कि वो बंदर को स्ट्रीट परफॉर्मर को सौंप दें, जिसके बाद रेस्क्यू टीम ने बंदर को एक स्थानीय स्ट्रीट परफॉर्मर को सौंप दिया. रेस्क्यू टीम के अधिकारी फारूक ने कहा कि उनके विभाग ने बंदर को चिड़ियाघर में रखने के लिए बहावलनगर वन्यजीव विभाग से संपर्क किया, लेकिन अधिकारियों ने जगह की कमी का हवाला देते हुए इनकार कर दिया था.
बंदरों के इलाज डॉक्टर नहीं – रेस्क्यू टीम के अधिकारी ने कहा कि बंदर को रखने के लिए चिड़ियाघर में कोई अतिरिक्त पिंजरा नहीं है. इसलिए जू वालों ने कहा बंदर को किसी मदारी (स्थानीय स्ट्रीट परफॉर्मर) को इसके रखरखाव के लिए सौंप दिया जाना चाहिए. जिला वन्यजीव अधिकारी, बहावलनगर, मुनव्वर हसन नजमी ने डॉन अखबार को बताया कि स्थानीय चिड़ियाघर में जगह की कमी के अलावा, बहावलनगर वन्यजीव विभाग के पास बंदरों के इलाज के लिए एक भी पशु चिकित्सक नहीं है.
नजमी ने कहा कि ज्यादातर जानवर जो भारत से पाकिस्तान में प्रवेश करते हैं, विशेष रूप से लंगूर और बंदर, चोटों से मर जाते हैं, जबकि बहावलनगर वन्यजीव विभाग के पास उनका इलाज करने के लिए एक भी पशु चिकित्सक नहीं है.
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