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अब अर्बन नक्सल की खैर नहीं! अमित शाह ने एजेंसियों को दे दी तीन साल की डेडलाइन, जानिए क्या होगा


देश के दुश्मन सिर्फ आतंकी, जिहादी और बंदूकधारी नक्सली ही नहीं हैं बल्कि इसे अंदर से खोखला करने का सपना देखने वाले अर्बन नक्सल सबसे बड़ा खतरा हैं। सरकार, पुलिस और सेना आतंकियों, नक्सलियों से तो निपट लेती है, लेकिन ‘बुद्धिजीवी’ की खाल में छिपे अर्बन नक्सल देश विरोधियों की नई फौज तैयार कर लेते हैं। इसलिए देश में शांति और प्रगति की नींव मजबूत करनी है तो अर्बन नक्सलों की जमात का समूल विनाश करना ही होगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसी मकसद से कानून लागू करने वाली एजेंसियों से कहा है कि वो ‘शहरी नक्सलियों’ के नाभि नाल पर चोट करें जो उनको देश के दुश्मनों से होने वाली फंडिंग है।
शाह ने रविवार को छत्तीसगढ़ पुलिस और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों को निर्देश दिया कि वो वामपंथी उग्रवाद के समर्थकों ‘अर्बन नक्सल’ की पहचान करके उनकी फंडिंग की गहन छानबीन करें। वामपंथी उग्रवाद के इकोसिस्टम पर अंतिम प्रहार करने और माओवादी फंडिंग को रोकने की रणनीति के तौर पर शाह ने यह कड़ा संदेश दिया है।
बैठक में इस बात पर सहमति थी कि छत्तीसगढ़ में अब भाजपा सरकार होने से विभिन्न नक्सल विरोधी एजेंसियों के बीच समन्वय बेहतर होगा और समयबद्ध योजना को इस खतरे को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए तेजी से और बिना किसी व्यावहारिक बाधा के जमीन पर उतारा जा सकता है।
छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार के गठन के बाद पहली बार वामपंथी उग्रवाद की स्थिति की उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक हुई। इसकी अध्यक्षता करते हुए शाह ने देश से नक्सलवाद को तीन साल के भीतर खत्म करने की व्यापक योजना का प्रस्ताव रखा। बैठक में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साई और दोनों उपमुख्यमंत्री, राज्य के डीजीपी, सीआरपीएफ के डीजी, खुफिया ब्यूरो के निदेशक के साथ-साथ केंद्र और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने हमारे सहयोगी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) को बताया, ‘बैठक में इस बात पर सहमति थी कि छत्तीसगढ़ में अब भाजपा सरकार होने से विभिन्न नक्सल विरोधी एजेंसियों के बीच समन्वय बेहतर होगा और समयबद्ध योजना को इस खतरे को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए तेजी से और बिना किसी व्यावहारिक बाधा के जमीन पर उतारा जा सकता है।