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मां-बाप द्वारा बच्‍चे को बात-बात पर टोकना, उसे बना सकता है दब्‍बू और कमजोर; समाधान क्या है?


अगर आप भी उन पेरेंट्स में से एक हैं जो अपने बच्‍चे को बात-बात पर डांटते हैं, उसकी कमियां गिनवाते हैं या उसके कामों की आलोचना करते हैं, तो एक बार आपको जान लेना चाहिए कि ऐसा कर के आप खुद ही अपने बच्‍चे की जिंदगी और अस्तित्‍व को खराब कर रहे हैं।
भारत में पेरेंटिंग का आपने भी ऐसा कल्‍चर देखा होगा जहां मां-बाप अपने बच्‍चे को खूब ताने मारते हैं। शर्मा जी के बेटे को देखा है, वो क्‍लास में फर्स्‍ट आया है और तुम्‍हारा पास होना भी मुश्किल होता है। गुप्‍ता जी की बेटी कलेक्‍टर बन गई और तुम कॉल सेंटर में लगे हुए हो। अक्‍सर बच्‍चों को अपने पेरेंट्स से इस तरह के ताने मिलते हैं।
फिल्‍मों में भी पेरेंट्स के इस तरह के बर्ताव को दिखाया जाता है। जब माता-पिता अपने बच्‍चे को इस तरह से ट्रीट करते हैं, तब वो ये भूल जाते हैं कि उनकी वजह से बच्‍चे को नुकसान हो रहा है और इसका खामियाजा उसे जिंदगीभर भुगतना पड़ सकता है। यहां हम आपको बता रहे हैं कि पेरेंट्स द्वारा बच्‍चों को बात-बात पर टोकने पर बच्‍चे को क्‍या नुकसान हो सकते हैं।
पर्सनैलिटी होती है खराब – इंडिया स्‍टडी चैनलकी वेबसाइट पर लिखा है कि हर बात पर बच्‍चे को टोकने से उसकी पर्सनैलिटी पर बुरा असर पड़ता है। बच्‍चा तनाव में रहता है और उसका विकास अवरूद्ध हो जाता है। अगर पेरेंट्स को अपने बच्‍चे से कोई शिकायत है, तो वो इसके बारे में बच्‍चे से प्‍यार से भी बात कर सकते हैं। इसका बच्‍चे पर सकारात्‍मक प्रभाव पड़ेगा और बच्‍चा आपकी बात भी सुनेगा।
आत्‍म-सम्‍मान में आती है कमी – बार-बार या लगातार बच्‍चे की आलोचना करने से उसका आत्‍म-सम्‍मान चोटिल होता है। खासतौर पर जब पेरेंट्स ही अपने बच्‍चे की आलोचना करने लगते हैं, तो इससे बच्‍चे को सबसे ज्‍यादा दुख होता है। बच्‍चा खुद को दूसरों से कम समझने लगता है और उसका आत्‍मविश्‍वास डगमगाने लगता है। इससे बच्‍चे के साथ पेरेंट्स का रिश्‍ता भी प्रभावित होता है।
दब्‍बू बनते हैं बच्‍चे – जब मां-बाप बच्‍चे से कहते हैं कि उससे ये काम नहीं होगा या उसके बस की बात नहीं है, तब बच्‍चे को लगने लगता है कि वो किसी काम के काबिल नहीं है। उसका आत्‍मविश्‍वास कम होने लगता है और उसके अंदर दब्‍बू व्‍यवहार यानी दूसरों से डरकर या दबकर रहने का व्‍यवहार पनपने लगता है।
रिसर्च क्‍या कहती है? – जर्नल ऑफ यूथ एंड एडोलसेंसमें प्रकाशित एक अध्‍ययन में लगातार तीन सालों तक 1409 बच्‍चों पर रिसर्च की गई। इन बच्‍चों की उम्र 13 से 15 साल के बीच थी और इस स्‍टडी में साथियों के साथ भावनात्‍मक जुड़ाव पर जोर दिया गया था। इसमें पाया गया कि जिन बच्‍चों के माता-पिता उनकी आलोचना करते हैं, उनमें गुस्‍से की भावना बहुत ज्‍यादा थी।
मन में घबराहट रहती है – जिन बच्‍चों को उनके मां-बाप किसी लायक नहीं समझते या बात-बात पर उनकी आलोचना करते रहते हैं, उन बच्‍चों के मन में अक्‍सर घबराहट और डर घर कर लेती है। बच्‍चे का मन इन नकारात्‍मक चीजों से ग्रसित हो जाता है।