
केंद्र सरकार ने मंत्रालयों और विभागों को मुकदमेबाजी कम करने का निर्देश दिया है, ताकि गैरजरूरी कानूनी कार्यवाही से बचा जा सके और सार्वजनिक संसाधनों की बर्बादी रोकी जा सके।
केंद्र सरकार ने मंत्रालयों और विभागों को मुकदमेबाजी कम करने का निर्देश दिया है। केंद्र ने निर्देश दिया है कि अदालत में दायर किए जा सकने वाले मामलों की संख्या पर एक ‘सीमा’ तय की जाए। ताकी, गैरजरूरी मुकदमेबाजी से बचा जा सके और सार्वजनिक संसाधनों की बर्बादी को रोका जा सके। ये फैसला इस सप्ताह की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सभी विभागीय सचिवों के बीच हुई बैठक के बाद लिया गया है।
सरकारी खजाने पर पड़ने वाला बोझ हो कम – कैबिनेट सचिव टी वी सोमनाथन ने एक पत्र में इसके बिंदुओं की रूपरेखा तय की। लोकसभा में दिए गए एक सरकारी जवाब के अनुसार, इस साल 18 मार्च तक, 53 मंत्रालय और विभाग अलग-अलग अदालतों और न्यायाधिकरणों में करीब 7.27 लाख मामलों में पक्षकार हैं। सूत्रों के मुताबिक मंत्रालयों और विभागों को गैरजरूरी कानूनी कार्यवाही में शामिल होने से रोकने की तैयारी है, जिससे सरकारी खजाने पर पड़ने वाला भारी बोझ कम हो सके। सचिवों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि मामले सावधानीपूर्वक विचार-विमर्श किया जाए। मामलों के गहन विश्लेषण के बाद ही मुकदमेबाजी की जाए।
आसान भाषा में कानून बनाने की सलाह – निर्देश में विभागों को अकादमिक रूप से उत्कृष्ट आखिरी सेमेस्टर के विधि छात्रों का एक ग्रुप बनाने की भी सलाह दी गई है। ये ग्रुप कानूनी शोध, मसौदा तैयार करने और मुकदमेबाजी के अन्य पहलुओं में सहायता करेगा। अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री ने सभी विभाग प्रमुखों से नागरिकों की सुविधा के लिए आसानी से समझ में आने वाली और सरल भाषा में कानून बनाने का आग्रह किया है।
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