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रूस की Sputnik V Coronavirus Vaccine भी 1 मई को पहुंच जाएगी भारत

भारत में कोरोना वायरस की दूसरी वेव के बीच 1 मई से 18 साल की उम्र के लोगों को वैक्सीन लगाने का काम शुरू होने वाला है। इससे पहले एक अच्छी खबररूस से आई है। रूसी डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (RDIF) की Sputnik V वैक्सीन की पहली खुराक भी 1 मई को पहुंच जाएगी। RDIF CEO किरिल दिमित्रीव ने सोमवार को इसकी जानकारी दी है।
उन्होंने यह भी बताया है कि भारत इस वैक्सीन का एक अहम निर्माता है। भारत में फिलहाल AstraZeneca और ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की बनाई Covishield और भारत बायोटेक की Covaxin दी जा रही हैं।
91.6% असरदार : रूस की Sputnik V वैक्सीन को दुनिया में सबसे पहले रजिस्टर कराया गया था। इसे 60 देशों में मंजूरी मिली है। मेडिकल जर्नल ‘द लैंसेट’ में छपी रिपोर्ट में एक अंतरिम अनैलेसिस में इसे 91.6 प्रतिशत असरदार पाया गया था। दिमत्रीव ने CNN को दिए इंटरव्यू में बताया है कि 1 मई को पहली खुराक भारत पहुंच जाएगी। अभी भारत में 45 साल से ऊपर के लोगों को वैक्सीन लग रही है।
जानकारों की मानें तो पहले वायरस को शरीर के प्रवेश करने में 1 से 2 दिन लेता था लेकिन अब ये 6 घंटे में ही संक्रमित कर देता है। वयस्कों की तरह अब बच्चों में भी कोविड के अलग-अलग लक्षण दिख रहे हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कोविड की दूसरी लहर में हमें बच्चों की स्पेशल करनी जरूरी है, क्योंकि बड़ों के लिए दुनिया भर में तमाम वैक्सीन आ चुकी हैं लेकिन मासूमों के लिए किसी भी देश में अब तक कोई टीका नहीं आया है।
कोरोना से बचाव के लिए छोटे बच्चों को न पहनाएं मास्क, वरना घुट सकता है मासूमों का दम : पहले बच्चों में सिर्फ खांसी बुखार की शिकायत आती थी लेकिन अब और भी कई तरह के लक्षण दिख रहे हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार, इस बार का कोविड खासकर 11 साल से कम और 17 साल के बच्चों को ज्यादा इफेक्ट कर रहा है।
इसलिए बेहतर होगा अगर आप बच्चों को घर में रखें। उन्हें घर से बाहर न निकलने दें। अगर आपके बच्चे में नीचे दिए गए कुछ इस तरह के तरह के लक्षण हैं तो आप उनकी खास देखभाल करनी की जरूरत है।
लंबे समय तक बुखार रहनालूज मोशन यानी दस्त लगनाउल्टी आना और पेट में दर्दबच्चे के हाथ-पैर में सूजन आ जाएमासपेशियों में दर्दसूखी खांसीशरीर और पैर में लाल चकत्ते पड़ जाएंहोंठ लाल हो जाएं या फट जाएंचेहरा नीला पड़ जाएबच्चे में चिड़चिड़ापन दिखनापहले की अपेक्षा ज्यादा सो रहा हो
बच्चे को गुब्बारा फुलाने के लिए दें, क्योंकि इससे उनके लंग्स मजबूत रहेंगे। जैसा कि आप जानते ही हैं कि कोविड लंग्स पर ही अटैक करता है। आज के तौर में इंटरनेट पर भी आपको ब्रीदिंग एक्सरसाइज के तमाम वीडियो मिल जाएंगे। उन्हें देख आप खुद करें और बच्चों को भी ये एक्सरसाइज कराएं। इससे उनका ऑक्सीजन लेवल मजबूत होगा।
बच्चों को गुनगुना पानी पीने को दें जिससे संक्रमण का खतरा कम होता है। उन्हें रात को सोने से पहले हल्दी वाला दूध दें, इससे बैक्टीरियल इंफेक्शन और वायरल इंफेक्शन से लड़ने में मदद मिलती है। इसके साथ ही उन्हें इम्यूनिटी बढ़ाने वाले फलों और सब्जियों का सेवन कराएं। उन्हें खट्टे फल खाने के लिए प्रेरित करें।
जानिए वैक्सीनेशन से पहले क्या खाएं और क्या नहीं? : बच्चों को अगर कोई भी असामान्य लक्षण दिखता है तो उन्हें डॉक्टर की सलाह पर ही दवा दें।बच्चों को विटामिन डी और जिंक की दवा दी जा सकती है जो कोविड से लड़ने में कारगर है लेकिन डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।बच्चे का अपने से सिटी स्केन न कराएं।जब बच्चा कोरोना संक्रमित हो उसे अकेला न छोड़े, किसी एक व्यक्ति को उसके साथ रहना जरूरी है।हालांकि, जो भी उसके साथ रहे वो कोविड प्रोटोकॉल का पालन करे।साथ ही बच्चे को भी बार-बार हाथ धुलने की आदत डलवाएं।
अगर आपका बच्चा कोरोना संक्रमित है तो उससे वायरस से डराएं नहीं बल्कि उसका हौंसला बढ़ाएं। बेहतर होगा अगर संक्रमित बच्चे से कोरोना से संबंधित कोई बातचीत न करें।
उसे कुछ मोमेंट्स के बारे में बातें शेयर करें। कोविड से अलग और दुनिया भर में क्या हो रहा है, इसकी सही जानकारी देना दें। उसे समझाएं कि अगर हम उचित देखभाल करेंगे तो चीजें जल्द ही बेहतर हो जाएंगी।
डॉक्टर्स के इन टिप्स से आप घर बैठे करें शरीर में ऑक्सीजन लेवल और लंग्स की देखभाल : नई दिल्ली के सुपर स्पेशलटी हॉस्पिटल में सीनियर डायरेक्टर डॉ. संदीप नायर का कहना है कि भारत के डॉक्टर Sputnik V जल्द से जल्द हासिल करने की राह देख रहे हैं। उन्होंने बताया है कि रूसी वैक्सीन पर अच्छी स्टडी हुई है और यह एक अच्छा बैकअप है इसलिए उम्मीद है कि इसे जल्दी हासिल किया जाए।
भारतीय स्ट्रेन ज्यादा संक्रामक पर… : कोरोना वायरस के भारतीय स्वरूप को लेकर विशेषज्ञों ने एक महत्वपूर्ण जानकारी दी है। उनका कहना है कि ब्रिटिश स्वरूप के समान ही यह तेजी से फैल सकता है लेकिन अभी तक इस बात के बहुत कम प्रमाण हैं कि यह मूल वायरस की तुलना में अधिक घातक है। सार्स-सीओवी2 के बी.1.617 स्वरूप को दोहरा उत्परिवर्तन वाला (डबल म्यूटेंट) या भारतीय स्वरूप भी कहा जाता है। यह स्वरूप महामारी की दूसरी लहर से बुरी तरह से प्रभावित महाराष्ट्र और दिल्ली में काफी मिला है।