
स्वर्गलोक में अष्टसिद्धियों एवं नवनिधियों में शंख का स्थान महत्वपूर्ण है। शंख को विजय, समृद्धि, सुख, यश, र्कीत तथा लक्ष्मी का साक्षात प्रतीक माना गया है। धार्मिक कृत्यों, अनुष्ठान साधना, तांत्रिक क्रियाओं आदि में शंख का प्रयोग सर्वविदित है।
अन्नपूर्णा शंख घर में धन्य-धान्य की वृद्धि करता है। मणि पुष्पक तथा पांच जन्य शंख से भवन के विभिन्न वास्तु दोषों का निवारण होता है। ऐसे शंख में जल भरकर भवन में छिड़कने से सौभाग्य का आगमन होता है। विष्णु नामक शंख से कार्यस्थल में छिड़काव करने से उन्नति के अवसर बनने लगते हैं।
अगर आपको खांसी, दमा, पीलिया, ब्लड प्रैशर या दिल से संबंधित मामूली से लेकर गंभीर बीमारी है तो इससे छुटकारा पाने का एक सरल सा उपाय है—शंख बजाइए और रोगों से छुटकारा पाइए।
शंखनाद से आपके आसपास की नकारात्मक ऊर्जा का नाश तथा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। शंख से निकलने वाली ध्वनि जहां तक जाती है वहां तक बीमारियों के कीटाणुओं का नाश हो जाता है।
शंखनाद से सकारात्मक ऊर्जा का सर्जन होता है, जिससे आत्मबल में वृद्धि होती है। शंख में प्राकृतिक कैल्शियम, गंधक और फास्फोरस की भरपूर मात्रा होती है। प्रतिदिन शंख फूंकने वाले को गले और फेफड़ों के रोग नहीं होते। शंख से मुख के तमाम रोगों का नाश होता है।
शंख बजाने से चेहरे, श्वसन तंत्र, श्रवण तंत्र तथा फेफड़ों का व्यायाम होता है। शंख वादन से स्मरण शक्ति बढ़ती है।
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