
हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देव के रूप में जाना जाता है। हर धार्मिक कार्य के शुरु करने से पहले गणपति को पूजा जाता है। ताकि पूजा-पाठ में किसी भी तरह का विघ्न पैदा न हो सके। इसलिए इन्हें विघ्नहर्ता के नाम से भी जाना जाता है। भगवान गणेश के जन्म के बारे में तो सब जानते ही हैं और ये बात भी सब जानते हैं कि भगवान गणेश माता पार्वती और भोलेनाथ के पुत्र हैं। लेकिन क्या कोई ये बात जानता है कि गणपति को माता लक्ष्मी के दत्तक पुत्र के रूप में भी जाना जाता है। अगर नहीं तो चलिए आज हम आपको माता लक्ष्मी और पुत्र गणेश से जुड़ी एक ऐसी ही पौराणिक कथा के बारे में बताएंगे, जिसमें गणेश को उनके पुत्र का रूप में जाना जाता है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार लक्ष्मी जी को अपने आप पर अभिमान हो गया कि सारा जगत उनकी पूजा करता है और उन्हें पाने के लिए दिन-रात उनकी आराधना करता रहता है। माता के मन की बात को भगवान विष्णु समझ गए और उन्होंने माता लक्ष्मी का घमण्ड व अहंकार को दूर करने के लिए उनसे कहा कि देवी भले ही सारा संसार आपकी पूजा करता है और आपको पाने के लिए व्याकुल रहता है लेकिन आपमें एक बहुत बड़ी कमी है। आप अभी तक अपूर्ण हैं।
जब माता लक्ष्मी ने अपनी उस कमी को जानना चाहा तो विष्णु जी ने उनसे कहा कि जब तक कोई स्त्री मां नहीं बनती तब तक वह पूर्ण नहीं होती और आप नि:सन्तान होने के कारण अपूर्ण है।
इस बात को जानकर माता लक्ष्मी को बहुत दु:ख हुआ। उन्होंने अपना दुःख पार्वती को बताया और उनसे उनके दो पुत्रों में से गणेश को उन्हें गोद देने को कहा। माता लक्ष्मी का दु:ख दूर करने के लिए पार्वती जी ने अपने पुत्र गणेश को उनकी गोद में दे दिया और तभी से भगवान गणेश माता लक्ष्मी के दत्तक-पुत्र माने जाने लगे।
बाल गणेश को अपने पुत्र रूप में पाकर माता लक्ष्मी बहुत प्रसन्न हुईं और उन्होंने गणेश जी को यह वरदान दिया कि जो भी मेरी पूजा के साथ तुम्हारी पूजा करेगा मैं उसके पास हमेशा रहूंगी।
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